11/12/2023
देश राजनीति राजस्थान

गहलोत-पायलट मामला ढाई साल से पेंडिंग, BJP नहीं चुन पा रही नेता प्रतिपक्ष

राजस्थान में दोनों ही पार्टियों भाजपा और कांग्रेस में खेमेबाजी आलाकमान के लिए सिरदर्द बन गई है। यही वजह है कि सालों से पेंडिंग पड़े मसलों पर पार्टी प्रभारी भी कोई फैसला लेने से बच रहे हैं। चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इस स्थिति से निपटने का एकमात्र तरीका मसलों को टाले रखने के रूप में खोजा है।

इसका ताजा उदाहरण है राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष का पद। राजस्थान के पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को 11 फरवरी को राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था। इसके बाद से 20 दिन से ज्यादा का समय बीत जाने के बावजूद बीजेपी नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन सकी है।

ये तो ताजा उदाहरण है मगर पिछले कुछ वर्षों में दोनों ही पार्टियों में कुछ ऐसा ही ट्रेंड दिखाई पड़ता है। उथल-पुथल से भरी रही राजस्थान की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस ने निर्णयों को पेंडिंग छोड़ने में ही भलाई समझी है। हालांकि, इस मामले में बीजेपी की स्थिति कांग्रेस से ज्यादा बेहतर रही है। कुछ मसलों को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी आमतौर पर कांग्रेस के मुकाबले जल्दी निर्णय करती है। वहीं, कांग्रेस में इसे लेकर समय ज्यादा लिया जाता है।

5 महीने बाद भी धारीवाल-जोशी-राठौड़ पर निर्णय नहीं 

25 सितंबर 2022 को राजस्थान में हुई इस्तीफा पॉलिटिक्स के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने तीन नेताओं मंत्री शांति धारीवाल, डॉ. महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को अनुशासनहीनता का दोषी मानते हुए नोटिस देते हुए जवाब मांगे थे।

तीनों नेताओं ने जवाब भी दिए मगर कांग्रेस हाईकमान इस मसले पर 5 महीने बाद तक भी निर्णय नहीं दे पाया। ना ही दोषियों पर कार्रवाई हुई ना ही उन्हें माफी मिली। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित उनके गुट के तमाम नेता लगातार कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यहां तक की दोषियों पर निर्णय नहीं होने से परेशान होकर तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन तक ने इस्तीफा दे दिया था।

32 महीनों बाद भी जिलाध्यक्षों पर निर्णय नहीं 

जून 2020 में जब सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे। तब कांग्रेस ने पूरी कार्यकारिणी को भंग कर दिया था। उसके बाद से ढाई साल से ज्यादा का समय बीत गया। लगभग 32 महीने बाद भी कांग्रेस अपनी पूरी कार्यकारिणी नहीं बना पाई है।

पिछले दो महीनों में कांग्रेस ने ब्लॉक अध्यक्ष जरूर नियुक्त किए मगर जिलाध्यक्ष अब भी नियुक्त नहीं हुए हैं। वह भी तब है जब पिछले साल मई में उदयपुर में हुए चिंतन शिविर में 90 से 180 दिनों के बीच तमाम राजनीतिक पद भरने का संकल्प लिया गया था। उसके बावजूद बगैर जिलाध्यक्षों के ही भारत जोड़ो यात्रा, हाथ से हाथ जोड़ो कार्यक्रम, राज्यसभा चुनाव, पंचायत चुनाव, निकाय चुनाव जैसे बड़े कार्यक्रम हो गए।

प्रदेशाध्यक्ष पर 5 महीने से फैसला नहीं कर पा रही बीजेपी 

निर्णय नहीं कर पाने के मामले में बीजेपी भी ज्यादा पीछे नहीं। राजस्थान की बात करें तो हालिया नेता प्रतिपक्ष के मसले के अलावा प्रदेशाध्यक्ष को लेकर भी बीजेपी शीर्ष नेतृत्व निर्णय नहीं कर पा रहा है। बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के कार्यकाल को बढ़ाया जाए या नए सिरे से नए नेता को यह पद सौंपा जाएगा इस पर बीजेपी में असमंजस है। प्रदेशाध्यक्ष का कार्यकाल यूं तो 30 सितंबर को पूरा हो गया था। मगर इसे लेकर बीजेपी किसी निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच सकी है।

अब नेता प्रतिपक्ष कौन होगा? 

गुलाबचंद कटारिया को 11 फरवरी को राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया था, तब से लेकर नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है। बीजेपी नेताओं और सियासी जानकारों का साफ तौर पर कहना है कि पार्टी इस पद पर शीघ्र नियुक्ति के मूड में बिलकुल नहीं है। इसकी वजह भी साफ है, चुनावी साल में किसी भी किस्म की खेमेबाजी से बचने के लिए बीजेपी कोई निर्णय नहीं करना चाहती।

Related posts

जहरीला पदार्थ खाने से महिला की मौत

Web1Tech Team

97 ग्राम गांजे के साथ मुम्बई में हुई गिरफ्तार हुई फ़िल्म अभिनेत्री.

Web1Tech Team

कांग्रेस अधिवेशन के दौरान दिखा राहुल का मातृप्रेम, जब मां को लगी ठंड तो खुद ओढ़ाया शॉल, मां-बेटे का प्यार देख लोग हुए गदगद

Such Tak