भारत में क्लब फुटबॉल में फिक्सिंग के आरोपों की CBI जांच शुरू हो गई है। CBI टीम ने हाल ही में दिल्ली के द्वारका ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) जाकर अधिकारियों से पूछताछ की थी। फेडरेशन से क्लबों और उनके इन्वेस्टमेंट की जानकारी मांगी गई है। भारत में फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी AIFF है। इस फिक्सिंग केस में सिंगापुर के मैच फिक्सर का नाम भी सामने आ रहा है।
भारतीय फुटबॉल महासंघ के सचिव शाजी प्रभाकरन ने कहा है- ‘AIFF मैच फिक्सिंग को कतई बर्दाश्त नहीं करता है और हमने क्लबों को जांच में सहयोग करने के लिए कहा है।
फुटबॉल में फिक्सिंग का मामला रविवार को सामने आया
ANI के मुताबिक, भारत में क्लब फुटबॉल में मैच में फिक्सिंग का मामला रविवार को सामने आया। CBI को एक इंटरनेशनल फिक्सर के बारे में जानकारी मिली थी। उसने शेल कंपनियों के माध्यम से कम से कम 5 भारतीय फुटबॉल क्लबों में कथित तौर पर बड़ी राशि इन्वेस्ट की।
सिंगापुर का मैच फिक्सर, फिक्सिंग में जेल भी काट चुका है
सिंगापुर के जिस मैच फिक्सर की बात की जा रही है। उसका नाम विल्सन राज पेरूमल है। अब तक हुई जांच में पता चला कि विल्सन ने लिंविंग 3D होल्डिंग लिमिटेड के जरिए इंडियन क्लबों में इन्वेस्टमेंट किया है। विल्सन 1995 में सिंगापुर में मैच फिक्सिंग के आरोपों में जेल जा चुका है। उसे फिनलैंड और हंगरी में भी सजा सुनाई गई थी।
घरेलू टूर्नामेंट खेल रही इंडियन एरोज पर भी आरोप
CBI सूत्र बताते हैं कि आई-लीग में शामिल टीम इंडियन एरोज पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। हम पता लगा रहे हैं कि इंडियन एरोज कैसे फिक्सिंग घोटाले में उतरी। एरोज को फुटबॉल फेडरेशन और ओडिशा सरकार ने फंड दिया था। इसमें कोई विदेशी खिलाड़ी या विदेशी कर्मचारी नहीं था। यह संभवत: टीम से जुड़े कुछ लोग हो सकते हैं। CBI ने क्लबों से भी विदेशी खिलाड़ियों और तकनीकी कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट में शामिल एजेंसियों और स्पॉन्सर्स के बारे में भी जानकारी मांगी है।
ओलिंपिक्स, वर्ल्ड कप क्वालिफायर मुकाबले भी रडार पर
कुछ रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि इस मामले के बाद बड़े मैचों में भी फिक्सिंग की आशंका जताई जा रही है। ओलंपिक मुकाबले, विश्व कप क्वालिफायर, महिला विश्व कप, CONCACAF गोल्ड कप और अफ्रीकी कप ऑफ नेशंस सहित अन्य बड़े टूर्नामेंटों भी रडार में हैं।
विल्सन राज पेरूमल, सिपाही बनना चाहता था फिक्सर बन गया
विल्सन राज पेरूमल, वो इंसान जिसने सिंगापुर की लोकल फुटबॉल लीग्स में फिक्सिंग करते-करते इंटरनेशनल मैचों में फिक्सिंग शुरू कर दी। इसके जरिए उसने करोड़ों की कमाई की। CNN को दिए अपने पहले टीवी इंटरव्यू में विल्सन ने कहा कि अब तक उसने कितने मैच फिक्स किए उसे याद नहीं, लेकिन संख्या 80-100 हो सकती है।
- विल्सन बचपन में सिपाही बनना चाहता था, लेकिन क्रिमिनल रिकॉर्ड होने के चलते वो ऐसा नहीं कर सका। 19-20 साल की उम्र में सट्टेबाजी में उसे मजा आने लगा। वो सट्टा लगाकर हारना नहीं चाहता था इसलिए धीरे-धीरे लोकल मैच फिक्स करने लगा।
- 1980 के दशक में उसने शुरुआत की और 90 के दशक के अंत तक वो इंटरनेशनल मैच भी फिक्स करने लगा। 1997 में उसने अपना पहला इंटरनेशनल मैच फिक्स किया जो कि जिम्बाब्वे और बोस्निया-हर्जेगोविना के बीच था।
- 1995 में विल्सन को एक फुटबॉल खिलाड़ी को घूस देने के मामले में 12 महीने की जेल हुई। इसके 4 साल बाद उसे एक रेफरी और मैच फिक्सर को मिलवाने के कारण 26 महीनों की जेल हुई।
- साल 2000 में विल्सन ने एक फुटबॉल खिलाड़ी पर हॉकी स्टिक से हमला भी किया। 2011 में विल्सन को फिनलैंड की एक प्रीमियर फुटबॉल लीग में फिक्सिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया।
- जब पुलिस ने उसे पकड़ा तो विल्सन के फोन में उन्हें 38 देशों के नंबर मिले। उसके पास इन देशों के अधिकारियों और खिलाड़ियों के नंबर थे। इतना ही नहीं, इसके लैपटॉप में 50 देशों के नंबर थे। फीफा में कुल 209 एसोसिएशन हैं। इस लिहाज से विल्सन के पास एक-चौथाई फीफा एसोसिएशन के कॉन्टेक्ट नंबर थे।