आने वाले चुनाव के लिए शक्ति प्रदर्शन?
आज देशभर में दशहरे की धूम है। मुंबई में इस मौके पर एक ही पार्टी की दो बड़ी रैलियां होनी हैं। उद्धव ठाकरे का गुट शिवाजी पार्क में रैली करेगा, तो BKC पार्क में शिंदे गुट इसके जरिए शक्ति प्रदर्शन करेगा।
जितनी लड़ाई दशहरा रैली के आयोजन स्थल को लेकर थी, अब उतना ही संघर्ष भीड़ जुटाने को लेकर भी है. दोनों ही गुट ज़्यादा से ज़्यादा भीड़ जुटाना चाहते हैं और इसके लिए ज़ोर-शोर से तैयारी कर रहे हैं. ठाकरे गुट डेढ़ लाख लोगों को जुटाने की कोशिश में हैं. शिंदे इससे दोगुने लोग को इकट्ठा करना चाहते हैं.
‘दो’ शिवसेना, एक मैदान, दशहरा रैली पर घमासान
इस साल जून में एकनाथ शिंदे की अगुआई में 40 विधायकों ने शिवसेना से बगावत करते हुए उद्धव ठाकरे की सरकार गिरा दी। बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे, BJP के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। तब से शिंदे और उद्धव के बीच खुद को असली शिवसेना साबित करने की जंग छिड़ी हुई है।
दोनों गुट पार्टी के चुनाव चिन्ह तीर और धनुष के लिए सुप्रीम कोर्ट में हैं। अब जबकि BMC चुनाव नजदीक हैं, तो दोनों गुट पार्टी दशहरा रैली के जरिए स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच भी अपनी मजबूती दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इस बार दशहरा रैली का आयोजन दोनों गुटों के लिए नाक का सवाल बन गया है।
कई घटनाओं का चश्मदीद शिवाजी पार्क
मुंबई का शिवाजी पार्क शिव सेना की हर महत्वपूर्ण घटना का चश्मदीद रहा है.शिवसेना की स्थापना भी शिवाजी पार्क इलाके में ठाकरे के पुराने घर ’77 ए रानाडे रोड’ में हुई थी. 13 अगस्त, 1960 को ‘मार्मिक’ मैगेज़ीन की शुरुआत भी यहीं से हुई थी.
दादर के पश्चिम में मराठी बस्तियों से घिरे 28 एकड़ के इस पार्क को पहले माहिम पार्क कहते थे. यहां आयोजित होने वाला शिवसेना का दशहरा मेला तो ख़ास है ही, इसके अलावा परकट उद्यान का गणेश मंदिर और समर्थ व्यायाम मंदिर का मल्लखंब भी बहुत मशहूर है. ये मैदान कई ख़ास क्रिकेट पारियों का भी गवाह रहा है.
शिवाजी पार्क चार पीढ़ियों ‘प्रबोधनकर’ केशव ठाकरे, बालासाहेब ठाकरे, उद्धव और आदित्य ठाकरे की वजह से इस परिवार के लिए ख़ास मायने रखता है.
प्रबोधनकर ठाकरे दादर इलाके में रहते थे. दादर में ही उन्होंने खांडके इमाकत से पहला सार्वजनिक नवरात्रि महोत्सव शुरू किया था. संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के दौरान उन्होंने शिवाजी पार्क में आयोजित बैठकों में भाग लिया था.