03/10/2023
देश

100वीं मन की बात: मोदी ने कहा, आपके पत्र पढ़कर कई बार भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया

प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने तीन अक्टूबर 2014 को ‘मन की बात’ कार्यक्रम की शुरुआत की थी। इसके माध्यम से वह हर महीने के आखिरी रविवार को विभिन्न मुद्दों पर लोगों के सामने अपनी बात रखते हैं। इस दौरान कई अहम लोगों से बात भी करते हैं।

मोदी ने रविवार को रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को संबोधित किया। आकाशवाणी पर इसे लाइव प्रसारित किया गया। पीएम ने इसे भारतीयों की भावनाओं को सभी के सामने लाने का जरिया करार दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम से जुड़ने वाला हर विषय जनआंदोलन बन गया।‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड में पीएम मोदी ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद परिस्थितियों की विवशता के कारण उनके पास जनता से कट जाने की चुनौती थी, लेकिन ‘मन की बात’ के जरिए इसका समाधान निकला और सामान्य लोगों से जुड़ने का रास्ता सामने आया।

गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के समय बनी लोक संघर्ष समिति के महासचिव पद की हैसियत से अपने राजनैतिक जीवन की आधिकारिक शुरुआत करने वाले नरेंद्र मोदी रैलियों में भाषण के दौरान, व्यक्तिगत बातचीत और हर किस्म के ‘मोनोलॉग’ में जी भर के बोलते रहे हैं और आज भी बोलते हैं। ऐसा ही उनका व्यक्तिगत कार्यक्रम ‘मन की बात’ है जिसको वे 3 अक्टूबर 2014 से आकाशवाणी के माध्यम से चला रहे हैं। रेडियो फॉर्मैट के इस पहले से रिकार्ड किए गए कार्यक्रम में उनका चेहरा नहीं दिखता, उनकी भावभंगिमाएं नहीं दिखतीं बस आवाज सुनाई देती है। इसी कार्यक्रम के 100वें अंक का प्रसारण 30 अप्रैल 2023 को हुआ।

आईआईएम रोहतक द्वारा किए गए सर्वे में इस्तेमाल किए जाने वाले ‘शब्द’ एवं परिणाम और लोकनीति-CSDS के 2022 के सर्वे से इसकी तुलना इस सर्वे को पब्लिसिटी स्टंट के करीब ले जाती है। इस बात को कुछ उदाहरणों से समझा जा सकता है।पहला, जब प्रधानमंत्री बोलते हैं तो पूरा देश सुनता है खासकर तब जब देश को नया प्रधानमंत्री मिला हो और उसने एक नया कार्यक्रम शुरू किया हो जो रविवार को छुट्टी के दिन सबके जागने और तैयार होने के बाद 11 बजे शुरू होता हो, तो इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी 96% नहीं 100% लोगों को होनी चाहिए। हर व्यक्ति के ईमेल और मोबाईल नंबर के मैसेज बॉक्स में इस कार्यक्रम के संबंध में हर बार संदेश पहुँचाया जाता है। 86% टेलीडेन्सिटी वाले देश में 96% लोगों तक बात पहुंचाना देश के प्रधानमंत्री के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है।

मन की बात ईश्वर रूपी जनता के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे..
हर महीने मैं देशवासियों के त्याग की पराकाष्ठा देखता हूं। मुझे लगता ही नहीं है कि आपसे थोड़ा भी दूर हूं। मन की बात कार्यक्रम नहीं, यह मेरे लिए आस्था,पूजा और व्रत है। जैसे लोग ईश्वर की पूजा करने जाते हैं तो प्रसाद की थाल लाते हैं। मन की बात ईश्वर रूपी जनता जनार्दन के चरणों में प्रसाद की थाल जैसे है। यह मेरे लिए अध्यात्मिक यात्रा बन गया है। अहम से वयम की यात्रा है। यह तो मैं नहीं, तू ही की संस्कार साधना है।

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