बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने 25 दिसंबर 2022 को कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले में हिंदू जागरण वेदिके के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक सम्मेलन में विवादित और भड़काऊ बयान दिया था.
उन्होंने हिंदू समुदाय से ‘अपने घरों में हथियार रखने’ का आह्वान किया था और कहा था- “अगर कुछ और नहीं तो कम से कम घर पर धारदार चाकू रखो”. उन्होंने लव जिहाद का जिक्र करते हुए यह बयानबाजी की थी.
साध्वी प्रज्ञा के इस बयान पर 100 से ज्यादा पूर्व रिटायर्ड आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारीयों ने ओपन लेटर लिख साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
“मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ बढ़ रही हेट-स्पीच”
इस ओपन लेटर में अपने बारे में बताते हुए लिखा गया है कि हम अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवाओं के पूर्व अधिकारियों का एक ग्रुप हैं. जिन्होंने हमारे करियर के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के साथ काम किया है. संवैधानिक आचरण समूह के सदस्यों के रूप में, हम निष्पक्षता, तटस्थता और भारतीय संविधान के प्रति प्रतिबद्धता और इसके मूल्यों की रक्षा में विश्वास करते हैं.
इस ओपन लेटर में घटना के बारे में विस्तार से बताते हुए लिखा गया कि, “मीडिया में यह बताया गया है कि, 25 दिसंबर, 2022 को कर्नाटक के शिवमोग्गा में हिंदू जागरण वैदिके के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए, लोकसभा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, जिन्हें साध्वी प्रज्ञा के नाम से भी जाना जाता है, भीड़ को अन्य समुदायों के पुरुषों से अपनी महिलाओं की रक्षा करने का आह्वान किया.
उसने उनसे अपने सब्जियों के चाकू को तेज रखने का आग्रह किया. ताकि इन्हें कथित तौर पर हिंदुओं को मारने वालों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके; इन चाकुओं का इस्तेमाल उन लोगों के सिर काटने के लिए भी किया जा सकता था जो ‘लव जिहाद’ में लिप्त है.
अगर इस तरह की परिस्तिथि बनती है तो इस तरह की कार्रवाई को आत्मरक्षा में माना जाएगा, एक अधिकार जो प्रत्येक व्यक्ति के पास है. वह अपने हिंदू दर्शकों को स्पष्ट रूप से बता रही थीं कि उन्हें गैर-हिंदुओं के हमलों से डरना होगा, हालांकि उन्होंने ‘मुस्लिम’ शब्द का विशेष रूप से इस्तेमाल नहीं किया लेकिन ‘लव जिहाद’ शब्द के संदर्भ और इस्तेमाल में कोई संदेह नहीं है कि यह मुस्लिम समुदाय था जिसे वह टारगेट कर रही थी.”
ओपन लेटर में लिखा- क्या किया जाना चाहिए ?
अपने भड़काऊ शब्दों से, प्रज्ञा ठाकुर ने न केवल भारतीय दंड संहिता के तहत कई अपराध किए हैं, बल्कि उन्होंने भारत के संविधान को बनाए रखने के लिए संसद सदस्य के रूप में ली गई शपथ का भी उल्लंघन किया है, जो कि जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों पर आधारित है- धर्मनिरपेक्षता, समानता और बंधुत्व.
ऐसा लगता है कि एक समाज के तौर पर हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट स्पीच के आदी हो गए हैं. विभिन्न गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ प्रिंट, दृश्य और सोशल मीडिया में, मुख्य रूप से मुसलमानों के खिलाफ, और हाल ही में ईसाइयों के खिलाफ जहर की एक दैनिक खुराक उगली जाती है.
दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों हम यह निर्देश देना चाहते हैं कि “जब भी कोई भाषण या कोई कार्रवाई होती है जो आईपीसी की धारा 153ए, 153बी, 295ए और 505 के तहत अपराधों को आकर्षित करती है, तो कोई शिकायत न आने पर भी स्वत: कार्रवाई की जाएगी और कानून के मुताबिक अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कोई झिझक नहीं होगी. इन निर्देशों के उलट किसी भी कृत्य को अवमानना के रूप में देखा जाएगा.”
(ऊपर उल्लिखित आईपीसी की सभी धाराएं पूजा स्थलों और धार्मिक और अन्य समूहों से संबंधित लोगों के खिलाफ अपराधों से संबंधित हैं.)
यह सराहनीय है कि शिवमोग्गा में पुलिस ने साध्वी प्रज्ञा के आत्मरक्षा के बारे में अपने भाषण को छिपाने के प्रयास में नहीं लिया और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत उनके खिलाफ एक या एक से अधिक एफआईआर दर्ज की हैं. हमें उम्मीद है कि वे अदालत में चार्जशीट दाखिल करने के लिए तेजी से आगे बढ़ेंगे.
राहुल ने साध्वी प्रज्ञा पर कहा, ‘भारतीय संसद का दुखद दिन’..
भोपाल से भारतीय जनता पार्टी की सांसद व मालेगांव विस्फोट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान को लेकर पैदा हुए विवाद के एक दिन बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भगवा पार्टी को घेरते हुए इसे ‘भारतीय संसद के इतिहास का दुखद दिन’ बताया। वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने भी ठाकुर के बयान को गलत बताया। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “आतंकवादी प्रज्ञा ने आतंकवादी गोडसे को एक देशभक्त बताया। भारतीय संसद के इतिहास का एक दुखद दिन।”
राहुल की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब एक दिन पहले लोकसभा में एक बहस के दौरान डीएमके नेता ए. राजा गोडसे द्वारा कोर्ट में दिए गए बयान को पढ़ रहे थे। बयान के बीच प्रज्ञा हस्तक्षेप किया, जिसे लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने सदन में हंगामा खड़ा किया था।