उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार के खिलाफ विद्रोह करने और एकनाथ शिंदे, जो अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं, के साथ बने रहने वाले हर तीन विधायकों में से कम से कम एक ने सीधे तौर पर शिवसेना के राज्य सभा सांसद संजय राउत को अपने जाने के लिए जिम्मेदार ठहराया है या सुलह वार्ता को पटरी से उतरने की वजह बताया है.
मुंबई और अंततः अपने गृह निर्वाचन क्षेत्रों में लौटने के बाद शिंदे का समर्थन करने वाले 39 में से कम से कम 13 विधायकों ने सार्वजनिक रूप से राउत को दोषी ठहराते हुए आरोप लगाया कि वह ‘शिवसेना को खत्म करने’ का पूरा प्रयास कर रहे हैं और विद्रोहियों को कथित तौर पर ‘सूअर और वेश्या’ कहे जाने की भी आलोचना की.
अपने क्षेत्र औरंगाबाद में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शिंदे खेमे के एक बागी शिवसेना विधायक संजय शिरसत ने कहा: ‘संजय राउत ने जो कहा उससे मैं आहत हूं. उन्होंने कहा, हे गेले वैश्य आहेत (जो चले गए हैं वे वेश्याएं हैं). हमारे साथ महिलाएं भी थीं उन्होंने काफी अपमानित महसूस हुआ.’
उन्होंने दावा किया कि राउत शिवसेना को डुबो देंगे, उनका लक्ष्य पार्टी को खत्म करना है. ये लोग शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के देखे हुए सपनों को चोट पहुंचा रहे हैं.
महाराष्ट्र की 10 सीटों के लिए विधान परिषद के चुनाव की गहमागहमी के एक दिन बाद, 22 जून को शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के विधायकों का एक समूह एमवीए सरकार से अलग हो गया. एमवीए में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल थी
विद्रोही पहले सूरत, फिर गुवाहाटी और अंत में गोवा गए और मुंबई आने से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ सरकार बनाने के लिए शिंदे ने पूर्व बीजेपी सीएम देवेंद्र फडणवीस से हाथ मिला लिया. शिंदे मुख्यमंत्री बने तो फडणवीस ने अपने लिए डिप्टी सीएम का पद रखा. बागियों के अपने गृह क्षेत्रों में लौटने के बाद सरकार ने 4 जुलाई को अपना फ्लोर टेस्ट पास कर लिया. कुल मिलाकर शिवसेना के 55 में से 39 विधायक शिंदे के साथ शामिल हो गए हैं.
गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए राउत ने कहा कि बागी विधायकों को लेकर कुछ साफ नहीं है कि वे क्यों चले गए.
उन्होंने कहा, ‘शुरू में उन्होंने हिंदुत्व को इसका कारण बताया. फिर उन्होंने आरोप लगाया कि राकांपा उन्हें फंड नहीं दे रही है…अब वे मुझ पर आरोप लगा रहे हैं. इसलिए, पहले उन्हें एक साथ बैठकर अपने जाने का कारण तय कर लेना चाहिए.’
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