महाराष्ट्र में शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट व एकनाथ शिंदे गुट के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। इसी बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में बागी गुट पर जमकर निशाना साधा है।
धनुष-बाण चिह्न फ्रीज होने के बाद रविवार रात को उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव के जरिए जनता से बातचीत की। ठाकरे और शिंदे गुट के नए चुनाव चिन्ह को लेकर आज चुनाव आयोग फैसला कर सकता है। इससे पहले उद्धव खेमे की ओर से सामना संपादकीय के जरिये शिंदे गुट पर कटाक्ष किया गया है और कहा है ”चाहे कितनी भी साजिशें और बेईमानी कर लो, शिवसेना खत्म नहीं होगी!”
सामना में लिखा गया “कोई कितनी ही साजिशें, कितनी भी बेईमानी के घाव दे दे, शिवसेना खत्म नहीं होगी। वह फिर जन्म लेगी, छलांग लगाएगी, उठेगी, शत्रुओं से हिसाब करेगी। चुनाव आयोग ने अब शिवसेना के चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ को जब्त कर ‘शिवसेना’ नाम के स्वतंत्र इस्तेमाल पर रोक लगाते हुए एक अंतरिम आदेश पारित किया है। यह पाप दिल्ली ने किया है। बेईमान पहरेदारों ने माँ के साथ बेईमानी की है! अंत में हम इतना ही कहेंगे, कितनी भी मुसीबतें क्यों न आएं, हम उसपर पैर रखकर खड़े होंगे!”
‘बस नाम ही काफ़ी है’
शिवसेना विधायक राजन साल्वी ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना के साथ हैं और कोंकण में राजापुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. उन्होंने कहा कि आम शिवसैनिक के लिए तीर-कमान का चिह्न अहम था, लेकिन पार्टी इसके बिना चुनाव जीत सकती है.
साल्वी ने दिप्रिंट को बताया, ‘ग्राम पंचायत चुनाव में कोई चुनाव चिह्न नहीं होता. हमारे पास सिर्फ शिवसेना समर्थित पैनल और प्रचार सामग्री है जिसमें उद्धवसाहेब, आदित्यसाहेब, बालासाहेब के नाम और चेहरे शामिल हैं. ग्रामीण मतदाता अभी भी जानता है कि यह शिवसेना है. कोंकण में हमने ऐसे कई ग्राम पंचायत चुनाव जीते हैं. शहरी उपचुनाव में अनुभव अलग नहीं होगा’
शिवसेना नेताओं में हड़कंप
उद्धव ठाकरे ने पार्टी के लिए अगले कदम और संभावित प्रतीकों को तय करने के लिए रविवार दोपहर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई.
शिवसेना के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘किसी स्तर पर उद्धवसाहेब इसकी उम्मीद कर रहे थे. उन्होंने दो महीने पहले हमें बताया था कि उन्होंने एक वैकल्पिक प्रतीक के बारे में सोचा है.’
शिवसेना नेता अनिल देसाई ने कहा, ‘मुंबई और महाराष्ट्र से शिवसेना के सभी महत्वपूर्ण पदाधिकारी इस बैठक में शामिल होंगे और वैकल्पिक चुनाव चिन्ह के विकल्प पर चर्चा के बाद फैसला किया जाएगा.’
10 अक्टूबर तक देना होगा वैकल्पिक नाम और सिंबल
चुनाव आयोग ने अपने आदेश में कहा है कि दोनों गुटों को वर्तमान उप-चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने फ्री सिंबल की जो सूची जारी की है, उनमें से अपने नए सिंबल के लिए 3 विकल्प चुनने होंगे. दोनों गुटों को 10 अक्टूबर को दोपहर 1:00 बजे तक अपने पसंद के तीन सिंबल को वरीयता के अनुसार चुनाव आयोग के सामने जमा करने का निर्देश दिया गया है. साथ भी दोनों गुट अपने लिए उस पार्टी नाम को भी प्रस्तुत करेंगे जिनसे उन्हें आयोग द्वारा मान्यता दी जा सकती है.
जून में शिवसेना के दो फाड़ हो जाने के बाद से दोनों गुट एक-दूसरे पर बाल ठाकरे की विरासत को कलंकित करने का आरोप लगाते रहे हैं और खुद को उनका असली उत्तराधिकारी बता रहे हैं.
3 नवंबर को होगा उपचुनाव, नए सिंबल के साथ उतरेगा उद्धव ठाकरे गुट
चुनाव आयोग के चुनाव चिन्ह जब्त करने के फैसले के साथ ही उद्धव ठाकरे गुट को 3 नवंबर को होने जा रहे अंधेरी पूर्व सीट के आगामी उपचुनाव में एक अलग नाम और चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करना होगा. यह सीट पूर्व विधायक रमेश लटके के निधन के कारण खाली है. यहां ठाकरे गुट ने रमेश लटके की विधवा पत्नी रुतुजा लटके को मैदान में उतारने का फैसला किया है जबकि शिंदे की सहयोगी बीजेपी इस सीट पर मुर्जी पटेल को उतार रही है.
ठाकरे परिवार के लिए लकी रहा है तीर-कमान का चिन्ह
19 जून 1966 को बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना की थी, लेकिन शुरुआत में ये सिर्फ एक सोशल ऑर्गेनाइजेशन के रूप में काम कर रही थी। 1968 में पहली बार पॉलिटिकल ऑर्गेनाइजेशन के रूप में शिवसेना का रजिस्ट्रेशन कराया गया। पहला चुनाव पार्टी ने 1971 में लड़ा, उस वक्त सिंबल था- खजूर का पेड़।शिवसेना ने इसके बाद रेलवे इंजन और ढाल-तलवार भी पार्टी का सिंबल रहा, मगर सफलता नहीं मिली। 1985 में सीनियर ठाकरे ने तीर-कमान का सिंबल लिया और मुंबई नगरपालिका का चुनाव लड़ा। पार्टी को इसमें भारी मार्जिन से जीत मिली और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बना ली।