महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को एकनाथ शिंदे ने बड़ा झटका Maharashtra Political Crisis ने दिया है. बाला साहेब ठाकरे के ‘हिंदुत्व’ के पैमाने पर उद्धव ठाकरे को तौलते हुए शिंदे पार्टी के 55 विधायकों में से 40 से अधिक के साथ असम चले गए हैं. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना विधायकों की बगावत से महाराष्ट्र के सियासत पर अनिश्चितता के बादल छा गए हैं.
एक तरफ संजय रावत ने कहा है कि अगर बागी शिवसेना विधायक 24 घंटों के अंदर वापस आ जाते हैं तो उद्धव ठाकरे सरकार छोडने पर फ़ेसला कर सकते हैं. वहीं दूसरे तरफ शिंदे गुट संख्या बल की ताकत पर उद्धव ठाकरे को कोई मुरव्वत देते नहीं दिख रहा.
ऐसे में सवाल है कि मौजूदा स्थिति में संख्या बल और दल-बदल कानून को देखते हुए उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे- दोनों के पास आगे कौन से राजनीतिक विकल्प मौजूद हैं. इसी को समझने की यहां कोशिश करते हैं.
वर्तमान सदन में 106 विधायकों के साथ बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है, और शिंदे के 40 MLA के दावे के साथ यह आंकड़ा 146 तक जा सकता है. साथ ही पहले से ही छोटे दलों या निर्दलीय सात विधायक शिंदे समूह की ओर बढ़ चुके हैं. ऐसी स्थिति में बीजेपी के पास 144 का बहुमत का आंकड़ा आसानी से होगा और सरकार भी उसी की होगी.
एकनाथ शिंदे के पास दूसरा विकल्प यह होगा कि वे 40 से अधिक विधायकों के गुट के साथ खुद को ‘असली’ शिवसैनिक पार्टी बताये और उद्धव ठाकरे को ही हाशिए पर ढ़केल बीजेपी के साथ गठबंधन में सरकार बना लें. ऐसी स्थिति में उन्हें पार्टी पर कब्जा करने और सिंबल जीतने के लिए चुनाव आयोग के पास जाना होगा.
हालांकि ऊपर के दोनों विकल्पों में शिंदे के लिए नफा और नुकसान दोनों हैं. शिवसेना में उद्धव के बाद नंबर दो माने जाने वाले एकनाथ शिंदे वर्तमान सरकार में शहरी विकास और लोक निर्माण मंत्री हैं. अगर बीजेपी के साथ सरकार बनाते हैं तो माना जा रहा है कि उन्हें उप-मुख्यमंत्री पद की पेशकश की जा सकती है.