जस्टिस गुप्ता ने कहा, कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सही. जस्टिस धूलिया ने कहा, यह व्यक्तिगत-धार्मिक स्वतंत्रता का मामला
कर्नाटक हिजाब विवाद (Karnataka Hijab Row) केस में सुप्रीम कोर्ट के जजों की एक राय नहीं बना पाई. एक जज ने कर्नाटक हाई कोर्ट के खिलाफ याचिका को खारिज कर दिया है. दूसरे जज ने कहा कि, मैं कर्नाटक हाई कोर्ट के खिलाफ जाता हूं. इसलिए अब ये मामला बड़ी बेंच के पास जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने क्या कहा?
हिजाब मामले पर अपना आदेश सुनाते हुए जस्टिस धूलिया ने कहा कि, “यह पसंद की बात है, कुछ ज्यादा नहीं, कुछ कम नहीं.” जस्टिस सुधांशु धूलिया ने अपील की अनुमति देते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के 4 पहलू : जस्टिस धूलिया का फैसला:

जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमति जताई और इस फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल करनेवाले से 11 सवाल पूछे। इसके बाद उन्होंने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि हमारे विचारों में भिन्नता है।
इस फैसले का क्या मतलब है?
सुप्रीम कोर्ट के जजों की अलग-अलग राय के बाद हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला लागू रहेगा. क्योंकि एक जज ने याचिका को खारिज किया है और दूसरे ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. हाई कोर्ट का फैसला तब तक जारी रहेगा जब तक किसी बड़े बेंच का फैसला नहीं आ जाता है.
उडुपी से शुरू हुआ था विवाद
कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। इसके बाद दूसरे शहरों में भी यह विवाद फैल गया।
मुस्लिम लड़कियां इसका विरोध कर रही हैं, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ी थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने लगाया था हिजाब पर बैन
शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर ये पूरा विवाद कर्नाटक से शुरू हुआ था. ये मामला जब कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंचा तो 11 फरवरी को हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश में कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी तरह के धार्मिक लिबास पहनने पर फिलहाल पाबंदी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 26 याचिकाएं दाखिल की गई थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि हाईकोर्ट ने धार्मिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को देखे बिना हिजाब बैन पर फैसला सुना दिया। याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन, दुष्यंत दवे, संजय हेगड़े और कपिल सिब्बल ने पक्ष रखा तो सरकार की ओर से सॉलिसटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए।
याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट में अपील की थी कि हिजाब को महिलाओं का मौलिक अधिकार माना जाए, लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया था. इसके बाद कोर्ट ने सरकार इससे जुड़े आदेश पारित करने का अधिकार दिया.
कर्नाटक सरकार ने क्या कहा?
उधर, कर्नाटक सरकार की ओर से पेश वकीलों ने तर्क दिया कि कर्नाटक सरकार का वह आदेश, जिसे लेकर विवाद खड़ा किया जा रहा वह धर्म तटस्थ है. पूरी सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने PFI की भूमिका को लेकर भी कई सवाल दागे थे. आरोप लगाया गया था कि इस पूरे मामले में छात्राओं को भड़काने का काम PFI ने किया. उसी की तरफ से सोशल मीडिया के जरिए छात्राओं से हिजाब पहनने की अपील की गई थी. स्कूलों में हिजाब पहनकर जाने की बात कही गई थी. इससे पहले तक कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब को लेकर कोई विवाद नहीं था.