महंगाई इन दिनों बेलगाम है। सैलरी तो राशन, दूध, सब्जी और सिलेंडर पर ही पूरी खर्च हो रही है। लोअर मिडिल क्लास जो 10 से 20 हजार रुपए महीना सैलरी पर जी रहे हैं, उनके लिए 5 साल में सब कुछ बदल चुका है। इस महंगाई में मकान का किराया, बिजली-पानी बिल या बच्चों की स्कूल फीस तो अलग है। बात सिर्फ रसोई की हो रही है। 2016 में जो रसोई 10 से 20 हजार की सैलरी वालों को दो वक्त की दाल-रोटी दे रही थी। वह अब निवाला छीनने को बेताब है। आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए गए पोल में हिस्सा लेकर महंगाई पर आप अपनी राय जरूर दीजिए।
आटा-दाल हुए इतने महंगे
हालांकि हालात अभी श्रीलंका जैसे नहीं हैं, लेकिन जिस रफ्तार से महंगाई इन पांच साल में बढ़ी है, अगर उसकी रफ्तार नहीं थमी तो हालात संभालना मुश्किल हो जाएंगे। कोरोनाकाल में 2 साल तक लगभग हर कारोबार प्रभावित हुआ। नौकरियां भी गईं। मध्यमवर्गीय परिवारों की सेविंग्स खत्म हुई। ऐसे में पहले से आर्थिक बोझ तले दबे परिवार अब बाजार की तेज चाल से घायल हैं। ऐसे में गृहणियों के लिए रसोई का बजट बनाए रखना मुश्किल हो गया है। 2016 में जो दाम थे वे अब दोगुना नहीं बल्कि कई खाद्य वस्तुओं के दाम तीन गुना से भी ज्यादा हो गए हैं।
खाद्य/वस्तु | 2016 में दाम | 2022 में दाम |
चक्की आटा | 185/10kg | 350 /10kg |
मूंग दाल | 89/kg | 160 /kg |
चावल | 28/kg | 40/kg |
घी | 345/kg | 500/kg |
सरसों तेल | 109/kg | 180/kg |
रिफाइंड तेल | 83/kg | 186/kg |
मूंगफली तेल | 133/kg | 210/kg |
वनस्पति घी | 75/kg | 160/kg |
सनफ्लावर तेल | 94/kg | 214/kg |
मसालों ने भी तीखा कर दिया स्वाद
अगर बीते 5 साल में आपकी आमदनी दोगुना नहीं हुई है तो ये बेहद चिंता की बात है। क्योंकि आपकी रसोई का बजट बीते 5 साल में डबल हो चुका है। रसोई में लगने वाला तड़का बहुत महंगा हो चुका है। रसोई में तड़का लगाना तक बहुत महंगा हो चुका है। क्योंकि मसालों के दाम भी इन पांच साल में तेजी से भागे हैं। जीरा इस साल अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। थोक मंडी में जीरे के भावों ने 25000 का आंकड़ा छू लिया। यही हाल हींग, धनिया, हल्दी और नमक मिर्च का भी रहा है।
मसाला | 2016 के भाव | 2022 के भाव |
जीरा | 190/kg | 330/kg |
काली मिर्च | 800/kg | 900/kg |
हींग | 12000/kg | 26000/kg |
धनिया | 130/kg | 240/kg |
हल्दी | 140/kg | 220/kg |
मिर्च | 180/kg | 300/kg |
नमक | 16/kg | 25-40/kg |
घरेलू गैस, पेट्रोल-डीजल जेब धधकाने के लिए काफी हैं
गैस सिलेंडर 2016 में 584 रुपए का आ रहा था। हालांकि उस वक्त यह रेट भी कम नहीं थी, लेकिन आज गैस का सिलेंडर करीब करीब हजार का आंकड़ा छू रहा है। ब्लैक में तो यह 1200 तक मिलेगा। इसमें कोई दोराय नहीं है कि कि घरेलू गैस से लेकर आटा दाल सब्जी और दूध की ही मशक्कत में एक आम मध्यमवर्गी परिवार की जिंदगी उलझ गई है। बाकी खर्चों के बारे में अगर सोचा जाए तो 50 हजार की मंथली सैलरी भी कहां खप जाएगी पता नहीं चलेगा।
2016 में रेट | 2022 में रेट | |
घरेलू गैस सिलेंडर | 584 रुपए | 954 रुपए |
पेट्रोल-डीजल के दाम ने बढ़ाई महंगाई
पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ने का सीधा असर ट्रांसपोर्टेशन पर पड़ता है। ट्रांसपोर्टेशन खर्च बढ़ने से खाद्य वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे हैं। 2016 में जहां पेट्रोल के दाम 66.09 रुपए और डीजल के दाम 50.32 रुपए थे वहीं 2022 में पेट्रोल के दाम 118.13 व डीजल के दाम 101.01 रुपए हो गए हैं। पेट्रोल डीजल के भाव लगातार बढ़ रहे हैं।
ऐसे में खाद्य वस्तुओं के दाम कम होने की संभावना भी कम से कम है। ऐसे में मध्यम वर्गीय परिवारों के पास बजट में ही कटौती का रास्ता बचता है। राजस्थान में फलों और सब्जियों के दाम भी आसमान पर हैं। नींबू कुछ दिन पहले 400 रुपए तक जा पहुंचा था, जिसके दाम अब 250 से 300 रुपए किलो तक आए हैं। लेकिन अब लाल मिर्च के दाम तेजी से उछले हैं। खाद्य तेलों के दाम लगातार उछल रहे हैं। रसोई के तड़के का स्वाद महंगाई बिगाड़ चुकी है और फिलहाल आसार अभी अच्छे नहीं लग रहे हैं।