जिस विभाग पर सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने व जागरूक करने की जिम्मेदारी है, वह विभाग की ही नियमों की अनदेखी कर रहा है। दरअसल बारां जिला मुख्यालय स्थित परिवहन विभाग कार्यालय में ड्राइविंग लाइसेंस तो बन रहे है, लेकिन लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाले को ड्राइविंग आती है या नहीं इसकी जांच तक नहीं की जा रही है। विभागीय कामकाज में दलालों की सक्रियता व अधिकारियों में जमकर अनदेखी की जा रही है। बिना ड्राइविंग टेस्ट के ही ही विभाग की ओर से राजस्व वसूली का लक्ष्य पूरा करने के लिए धड़ल्ले से लाइसेंस बनाए जा रहे हैं। अधिकारियों की इसी लापरवाही व अनदेखी के चलते जिले में लगातार सड़क दुर्घटनाओं में लोग जान गंवा रहे है।
हर साल बढ़ रही सड़क दुर्घटनाएं
यातायात नियमों की अनदेखी के कारण आए दिन सड़क हादसे हो रहे है। इनमें कई लोग जान गंवा रहे है। पुलिस रिकार्ड के अनुसार जिले में साल 2020 में 350 सड़क दुर्घटनाएं हुई। जिनमें 391 लोग घायल हुए व 123 लोगों की मौत हुई। वहीं साल 2021 में 357 सड़क दुर्घटनाओं में 389 लोग घायल हुए व 106 की मौत हुई। वहीं साल 2022 में 359 सड़क दुर्घटनाएं हुई। जिनमें 434 लोेग घायल और 153 लोगों की मौत हुई है।
ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट में होंगे पास तभी मिलेगा लाइसेंस
सभी ड्राइविंग ट्रैक पर कैमरे भी लगाए जाएंगे। कंप्यूटर के माध्यम से वाहन चलाने वाले लोगों का एक-एक रिकार्ड दर्ज होगा। कम्प्यूटर में सॉफ्टेवयर फीड होगा। इसमें गाड़ी के हर मूवमेंट की गणना होगी कि किस स्किल में व्यक्ति ने कितना समय लिया, कहां गलती की। ट्रायल पूरा होने पर एक क्लिक में स्किल टेस्ट की रिपोर्ट मिल जाएगी। इसके बाद चालक की दक्षता पाए जाने के बाद ही उसे लाइसेंस जारी किया जाएगा। इस ट्रैक पर जब तक दक्षता नहीं होगी लाइसेंस मिलना आसान नहीं होगा। किसी प्रकार की हेराफेरी भी इसमें नहीं की जा सकती है।
ऑटोमेटेड ट्रैक तैयार होने से आएगी पारदर्शिता: सूत्रों का कहना है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी तो दूसरी तरफ बिना ड्राइविंग में दक्ष लोगों को लाइसेंस नहीं मिल पाएगा। इसका सीधा असर सड़क दुर्घटनाओं के कमी के रूप में सामने आएगा। अधिकांश जिलों में परिवहन विभाग की ओर से ट्रैक तैयार करवाए जा चुके है, तो कही पर निर्माण चल रहा है।
लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में दलालों, अधिकारियों की दखल रोकने व ड्राइविंग में दक्ष लोगों को लाइसेंस देने के उद्देश्य से कई जिलों में ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक बनवाए जा रहे है। साल 2019 की बजट घोषणा के तहत बारां जिला मुख्यालय पर भी करीब 1 करोड़ 42 लाख रुपए की लागत से ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक प्रस्तावित है। जिसका बजट स्वीकृति आदि मिलने के बावजूद यहां ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रैक नहीं बन पाया है। ट्रैक निर्माण के लिए निर्माण एजेंसी आरएसआरडीसी की ओर से भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। इसी के कारण जिला परिवहन विभाग में लाइसेंस बनाने में दलालों की सक्रियता व अधिकारी-कर्मचारी यहां बिना किसी ड्राइविंग टेस्ट के ही लाइसेंस जारी कर रहे हैं। ^ मैं अभी छुट्टी पर बाहर आया हूं, चालान आदि के बारे में अभी जानकारी नहीं दे पाऊंगा। ऑटोमेटेड ट्रैक का कार्य की जानकारी आरएसआरडीसी के अधिकारी दे पाएंगे। हमने कई बार आरएसआरडीसी को पत्र लिख रखे है। फिलहाल साधारण ट्रैक पर ही ड्राइविंग टेस्ट लिए जाते हैं। – महावीर पंचौली, डीटीओ