सुधाकर सिंह के बयान पर नीतीश कुमार ने कहा- हम तो नोटिस भी नहीं लेते हैं
कड़ाके की ठंड के बीच बिहार का सियासी पारा चढ़ गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के बयान के बाद से बिहार की राजनीति में उबाल आ गया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या महागठबंधन में RJD-JDU के बीच सब कुछ ठीक नहीं है या फिर नीतीश कुमार पर तेजस्वी को सत्ता सौंपने के लिए दबाव बनाया जा रहा है या फिर सुधाकर सिंह का अपना कोई छिपा हुआ एजेंडा है ?
सुधाकर सिंह ने क्या कहा है ?
कृषि मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद से विधायक सुधाकर सिंह, सीएम नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर रहे हैं. मंगलवार, 3 जनवरी को कैमूर में एक जनसभा में किसानों को संबोधित करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि आप लोगों ने ऐसा भिखमंगा मुख्यमंत्री नहीं देखा होगा, जो झोला लेकर दिल्ली जाता है, स्पेशल स्टेट्स की मांग करता है और 350 करोड़ रुपये का जहाज खरीदने की बात करता हो. इससे पहले उन्होंने सीएम नीतीश की तुलना शिखंडी और नाइट वॉचमैन से की थी.
सुधाकर सिंह के बयान के मायने..
पूर्व मंत्री के बयानों को महागठबंधन सरकार में दरार के तौर पर देखा जा रहा है. इसे पार्टी लाइन के खिलाफ भी माना जा रहा है. खुद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर कोई ऐसी टिप्पणी करता है तो वह बीजपी की नीतियों का समर्थन करता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर ऐसा किसी ने कहा है तो राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी, जो कि अभी बीमार हैं, उनके संज्ञान में ये बातें हैं और वो इसे गंभीरता से ले रहे हैं.
भले ही तेजस्वी इसे पार्टी लाइन के खिलाफ मान रहे हों, लेकिन सवाल उठ रहा है कि अब तक सुधाकर सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
वहीं सुधाकर सिंह के पिता जगदानंद सिंह के एक करीबी की मानें तो कृषि एवं किसानों से जुड़े मुद्दों पर सरकार को घेरते रहने और लगातार हमलावर होने की नीति RJD ने लालू प्रसाद की सहमति से ही अपनाई है. इसबारे में जगदानंद सिंह की लालू प्रसाद यादव से बातचीत हो चुकी है.
नीतीश कुमार के खिलाफ ऐसा पहली बार नहीं है जब महागठबंधन के नेताओं ने बयानबाजी की है. राजनीतिक गलियारों में इसे सत्ता परिवर्तन के लिए नीतीश कुमार पर दबाव बनाने के रूप में भी देखा जा रहा है. वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी कहते हैं कि,
छपरा शराबकांड के बाद से नीतीश कुमार को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था. वहीं विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से JDU की स्थिति मजबूत नहीं है. ऐसे में नीतीश कमजोर दिख रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि, “सुधाकर सिंह लगातार नीतीश कुमार को लेकर Below the Belt बातें कर रहे हैं. वह चाह रहे हैं कि उन्हें किसी तरह पार्टी से निलंबित कर दिया जाए.” इसके पीछे तर्क देते हुए वह आगे कहते हैं कि,
बता दें कि 2010 के विधानसभा चुनाव में RJD से टिकट नहीं मिलने के बाद सुधाकर सिंह ने BJP के टिकट पर कैमूर की रामगढ़ से चुनाव लड़ा था. हालांकि, उन्हें यहां से हार का सामना करना पड़ा था. 2019 में बीजेपी ने MLC चुनाव में भाई के लिए प्रचार करने के आरोप में सुधाकर सिंह को पार्टी से निकाल दिया. इसके बाद 2020 में उन्होंने RJD की सदस्यता ली और रामगढ़ से चुनाव जीता.
गठबंधन को तोड़ने के मकसद से दे रहे बयान- तिवारी
वहीं RJD के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि सुधाकर सिंह ने जान-बूझकर गठबंधन को तोड़ने के मकसद से इस तरह का बयान दिया है. यह सबको मालूम है सुधाकर इसके पूर्व बीजेपी के उम्मीदवार रूप में अपने क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके हैं. यही नहीं बीजेपी के नेतृत्व के साथ भी इनका घनिष्ट संबंध रहा है.
HAM प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी कहा है कि RJD की जवाबदेही बनती है कि अविलंब सुधाकर सिंह पर कारवाई करें, यही गठबंधन धर्म का पालन होगा. इसके साथ ही उन्होंने सुधाकर सिंह पर आरोप लगाते हुए कहा कि भले ही वह RJD में हों पर उनकी आत्मा आज भी अपने पुराने दल BJP के साथ ही है.
हम तो नोटिस भी नहीं लेते- नीतीश कुमार
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि कोई क्या बोलता है ये तो पार्टी वाले लोग ही बताएंगे. ये तो पार्टी के अंदर की चीज है. पार्टी वाले ही न उसको देखेंगे और बोलेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम तो नोटिस भी नहीं लेते हैं. हालांकि, सुधाकर सिंह के बयान के बाद से JDU नेता खासे आक्रोशित हैं.

वहीं JDU संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने सुधाकर सिंह के बयान पर नाराजगी जताई है. उन्होंने तेजस्वी यादव को ओपन लेटर लिखकर कहा, “ऐसे बयानों पर जितनी जल्दी रोक लगे उतना श्रेयस्कर होगा. गठबंधन के लिए और शायद आपके लिए भी.”
बहरहाल, सुधाकर सिंह के बयान के बाद से महागठबंधन में दरार बढ़ती दिख रही है. लगातार बयानबाजी और कार्रवाई नहीं करने से महागठबंधन में RJD के खिलाफ भी मैसेज जा रहा है. वहीं JDU नेताओं में असंतोष भी बढ़ रहा है. हालांकि, राजनीति में बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का दौरा आम बात है. ये तो वक्त ही बताएगा कि सुधाकर सिंह के बयान का क्या प्रदेश की राजनीति पर क्या असर पड़ता है.