बिहार के छपरा में जहरीली शराब से अब तक 46 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। ये सरकारी आंकड़ा नहीं है। सारण के DC राजेश मीणा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 26 लोगों की मौत की जानकारी दी है। वहीं 30 मरीजों का इलाज चल रहा है, जिनकी हालत गंभीर है। यानी मौतें और बढ़ सकती हैं। जिस मशरख इलाके में घटना हुई है, वहां थानेदार रितेश मिश्रा समेत 2 लोगों को सस्पेंड किया गया है। जांच के लिए SIT बनाई गई है। जहरीली शराब प्रकरण में अब तक दो प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें 4 की गिरफ्तारी हुई है।
उत्पाद विभाग की 7 टीमें छापेमारी कर रही है। मशरख के अलग-अलग इलाके से 600 लीटर अवैध शराब बरामद हुआ है। अब तक 48 घंटे में 150 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उधर, CM नीतीश कुमार ने कहा है कि जहरीली शराब से शुरू से लोग मरते हैं। सबको अलर्ट रहना चाहिए, क्योंकि जब शराब बंदी है तो खराब शराब मिलेगी ही। जो शराब पियेगा वो मरेगा।
शराब कांड से जुड़े अपडेट्स
विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी की अगुवाई में बीजेपी के 30 विधायक मशरख पहुंचे।
- केंद्रीय मंत्री गिरीराज सिंह ने कहा है कि ये बिहार का दुर्भाग्य है। बिहार में जब से शराब नीति चली है तब से कई हजार लोग मर गए। मगर मुख्यमंत्री की संवेदना नहीं जगती।
- सुशील मोदी ने कहा है कि शराबबंदी लागू होने के बाद 6 साल में 1000 से ज्यादा लोगों की जहरीली शराब से मौत हुई है। 6 लाख लोग जेल भेजे गए।
- तेजस्वी यादव ने कहा कि जहरीली शराब से बिहार से ज्यादा गुजरात में मौतें हुई हैं। गलत करोगे तो गलत होगा।
- बिहार शराब कांड का मामला संसद में भी गूंजा। बिहार विधानसभा में भाजपा विधायकों ने भी जमकर हंगामा किया।
शराब बंदी की सच्चाई
शराब बंदी के बीच शराब से ही मौतों की पड़ताल करने भास्कर की टीम मशरख पहुंची। यही वह मोहल्ला है, जहां शराब पीने से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। यहीं एक फोन पर घर-घर शराब पहुंच जाती है। पता चला कि कई शवों के चोरी-छिपे अंतिम संस्कार कर दिए गए। पोस्टमार्टम केवल 22 का हुआ है। लोगों के चेहरे पर एक खौफ दिखा। शराब पर सवाल किए तो कुछ ने कहा- पुलिस को सब पता था। सप्लायर की सेटिंग की वजह से वह सब नजरअंदाज करती थी। स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे तो वहां के कर्मचारी ने बताया- जो मोहल्लों में शराब बांट रहा था, उसकी मौत खुद शराब पीने से हुई।
भास्कर की टीम छपरा के बहरौली, मशरख तख्त, मढ़ौरा इलाके में पहुंची जहां शराब पीने से मौतें हुईं। रात 10 बजे का वक्त था। थाने के आस-पास सन्नाटा था। घरों से सिसकियों की आवाज आ रही थी। बाहर सफेद कपड़ों में लिपटी लाशें थीं। हमारी टीम मशरक थाने के आसपास से मोहल्लों में गई। खौफ नजर आया। कैमरे के सामने कोई भी बोलने को तैयार नहीं था। एक एंबुलेंस गुजर रही थी। पीछा किया तो वो थाने के सामने गली में जाकर रुकी। मरीज नहीं लाश उतारी गई, जिसे घर तक ले जाने वाला भी नहीं था।
यहां घर-घर दारू मिल रहा है
मशरख में हमने लोगों से बातचीत शुरू की। श्याम ने बताया कि मशरख में पुलिस की मिलीभगत से शराब का धंधा चल रहा है। सप्लायर की सेटिंग की वजह से ही पुलिस चुप थी। घर-घर दारु मिल रहा है। यहां अड्डों की कमी नहीं है। फोन करते ही घर तक शराब पहुंच जाती है। हमारे मोहल्ले में 4 की मौत हुई है।
हम मशरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर गए, जहां शराब पीने के बाद भर्ती हुए मरीजों का इलाज चल रहा था। हमें पता चला कि जो भर्ती हैं, वो रोज शराब पीते थे। मोहल्ले में ही मिल जाती थी। पहले कभी परेशानी नहीं हुई। सोमवार और मंगलवार को जिसने शराब पी, उसे दिक्कत हुई। एक मरीज बोला स्प्रिट वाली शराब पिला दी थी।
एक हेल्थ वर्कर बोला कि शराब का डिस्ट्रीब्यूटर बहरौली का था। उसी की शराब से लोगों की तबीयत बिगड़ी। वह भी दारु पीने के बाद मर गया। हालत बिगड़ने के बाद उसे घरवाले अस्पताल लाए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने कई बार सप्लायर को पकड़ा था, फिर छोड़ दिया
हेल्थ वर्कर ने बताया कि अस्पताल आने वालों में सबसे अधिक मजदूर वर्ग के लोग थे। अधिकतर मरीजों की उम्र 25 से 40 वर्ष की थी। आसपास के गांवों में जो भी शराब सप्लाई की गई, वो मशरख में बनी थी। दारु की सप्लाई करने वाले को पुलिस ने भी कई बार पकड़ा, लेकिन वह क्यों छोड़ दिया गया यह बड़ा सवाल है।
पहले आंखों से दिखना बंद, फिर घट गया बीपी
अस्पताल कर्मियों ने बताया कि जिन्हें पहले से कोई बीमारी थी, उनकी हालत शराब पीते ही बिगड़ गई। शराब पीने वालों की हालत एक जैसी ही दिख रही थी। पहले आंखों से दिखना बंद होता था, फिर पेट में सूजन होता था। गले में सूखेपन के बाद बीपी डाउन हो जाता था।
एंबुलेंस ड्राइवर चंदन ने बताया कि कई मरीजों ने अस्पताल ले जाते वक्त ही दम तोड़ दिया। इस बार कम ही मरीज दिखाई दिए, जिन्होंने जहरीली शराब पी और बच गए।
थाने को सब पता था, लेकिन एक्शन नहीं लिया
मशरख थाने के पीछे दुकान पर काम करने वाले फिरोज ने बताया कि मोहल्ले में शराब बिकती रही है। थाने में सब पता था, लेकिन वह जानबूझकर खामोश रहते हैं। पुलिस मुखबिरों से सूचना मांगती है, लेकिन उस पर एक्शन नहीं लेती।
डॉक्टरों को मरीजों को बचाने का मौका ही नहीं मिला
मशरख सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों का कहना है कि शराब पीने के बाद मरीजों का बर्ताव एक जैसा ही दिखा। 30 से अधिक पीड़ित आए। वह सांस तक नहीं ले पा रहे थे। केमिकल का असर इतना तेजी से फैला था कि पीड़ितों को बचाने का मौका ही नहीं मिल रहा था। कई केस में तो घर वालों को भी जानकारी समय से नहीं हो पाई। जब तक वो मरीज लाए, तब तक टॉक्सिन पूरे शरीर में फैल चुका था। इस कारण से एम्बुलेंस में ही कई मरीजों की मौत हो गई।
नगर निकाय चुनाव में शराब की सप्लाई बढ़ गई
मरीजों के परिजनों ने बताया कि नगर निकाय चुनाव के कारण भी शराब खूब बिक रही है। चुनाव के दौरान अलग-अलग कैंडिडेट शराब का ऑफर देता है। परिजन कहते हैं कि ऐसे ही किसी कैंडिडेट ने मोहल्ले में शराब बंटवाई थी। मशरख में कई पुलिस के वाहनों पर लाउड स्पीकर लगाए गए हैं। लोगों को जागरूक किया जा रहा है। शराब के बारे में चेतावनी दी जा रही है। पुलिस अफसर बात करने से बच रहे हैं। कह रहे हैं कि मामले की जांच हो रही है। एक्शन लिया जा रहा है।
टेट्रा पैक में बांटी गई शराब, इसमें ज्यादा समय रही तो खराब हो जाती है
मशरख में शराब कारोबारियों ने टेट्रा पैक (पॉलीथिन में शराब) की बिक्री की है। टेट्रा पैक में भी अधिक समय तक शराब रखने से खराब हो जाती है। इन मोहल्लों में खाली टेट्रा पैक दिखते थे, लेकिन घटना के बाद अब ये नजर नहीं आ रहे।