09/12/2023
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BJP से कांग्रेस में आए शेट्टार हारे, डीके शिवकुमार जीते, रुझानों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत

कर्नाटक में जब चुनाव प्रचार जारी था तो 2 मई तक भाजपा और उसके स्टार प्रचारक यह तय नहीं कर पाए थे कि उन्हें किन मुद्दों पर इस चुनाव को लड़ना है। कांग्रेस कर्नाटक में फैले भ्रष्टाचार के मुद्दे को लगातार उठा रही थी और बीजेपी इसका ठीक से जवाब नहीं दे पा रही थी। 3 मई का दिन कर्नाटक में निर्णायक साबित हुआ। 3 मई को सुबह 9 बजे कांग्रेस का घोषणापत्र जारी हुआ, जिसमें दसवें नंबर पर एक लाइन लिखी थी- बजरंग दल और पीएफआई जैसे कट्टर संगठनों पर कार्रवाई की जाएगी। 3 मई को ही पीएम मोदी की कर्नाटक में दो जनसभाएं मुदबिदरी और कलबुर्गी में थी और दोनों सभाओं में प्रधानमंत्री मोदी के मुंह से निकला- जय बजरंग बली।

कर्नाटक विधानसभा की सभी 224 सीटों के नतीजे आज आ रहे हैं। शुरुआती 70 मिनट में कांग्रेस-भाजपा दोनों ने एक-एक बार बहुमत का आंकड़ा छू लिया। दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। नतीजों के साथये भी पता लगेगा कि 2,615 उम्मीदवारों में किन 224 उम्मीदवारों की किस्मत चमकेगी। इन सभी के बीच कुछ चेहरे ऐसे भी होंगे जिनकी जीत-हार पर सभी की नजर होगी। इन चेहरों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी जैसे कई दिग्गज शामिल हैं।

इस बार चुनाव लड़ने वालों में कई बड़े नेता भी हैं। खुद मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई मैदान में थे। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व मुख्यमंत्री और जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी जैसे कई दिग्गजों ने चुनाव लड़ा।

10 एग्जिट पोल में 5 में हंग असेंबली

एग्जिट पोल्स की बात करें तो 10 में से 5 में हंग असेंबली की भविष्यवाणी की गई है। चार में कांग्रेस को तो एक में भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बताया गया है। रिकॉर्ड वोटिंग के बाद इसके पैटर्न से भी कुछ साफ नहीं हो रहा है। कांग्रेस, भाजपा, जेडीएस अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं। राज्य में अब तक 14 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। 8 चुनावों में वोटिंग परसेंटेज में इजाफा हुआ, जिसमें सिर्फ एक बार 1962 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई है। वहीं, पांच चुनाव में वोट प्रतिशत कम रहा, जिसमें भाजपा एक बार सत्ता में लौटी।

क्या बन रहे हैं चार समीकरण, सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद भी कांग्रेस क्यों चिंता में ?

1985 के बाद यानी बीते 38 साल से कर्नाटक में कोई दल लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाया। रुझानों में कांग्रेस मजबूत है और इस बार भी कर्नाटक में रोटी पलटती दिख रही है| कर्नाटक के चुनाव नतीजे कांग्रेस के लिए राहत की खबर लेकर आए हैं। सुबह साढ़े नौ बजे के बाद से कांग्रेस रुझानों में लगातार 110 सीटों से ऊपर बनी हुई है। सामान्य आकलन कहता है कि रुझानों के मुताबिक अंतिम नतीजे रहने पर कांग्रेस को सरकार बनाने में परेशानी नहीं आएगी। हालांकि, उसे विधायकों को जोड़े रखने की चिंता भी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस बेंगलुरु के एक पांच सितारा होटल में कई कमरे बुक कर चुकी है। उसने जीते हुए नेताओं को रात को ही होटल पहुंचने को कहा है। यहीं पर रविवार को कांग्रेस के नवनिर्वाचित नेताओं की बैठक होगी।

 

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