पुलवामा में CRPF जवानों ने एक दूसरे को रंगा लगाया
देशभर में होली की धूम है। लोग घरों मे, गलियों-मोहल्लों में, मंदिरों में, घाटों पर रंग-गुलाल उड़ा रहे हैं। कहीं पर बच्चे छतों की मुंडेर पर, घरों की बालकनी में पानी वाले गुब्बारे लेकर बैठे हैं, तो कहीं एक-दूसरे को पिचकारी से रंग रहे हैं। देशभर से होली खेलने की शानदार तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं। लोग अपनों के बीच इस रंगों के त्योहार को जमकर सेलिब्रेट कर रहे हैं।
इस अवसर पर CRPF के जवानों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में एक दूसरे को रंग व गुलाल लगाकर और गले मिलकर होली का त्योहार धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर जवानों ने डांस भी किया।
PM मोदी ने दीं शुभकामनाएं 
प्रधानमंत्री मोदी ने देश के लोगों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आप सभी के जीवन में हमेशा आनंद और उमंग का रंग बरसे।’ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने घर पर होली समारोह का आयोजन किया, जिसमें भाजपा नेता समेत अमेरिकी वाणिज्य मंत्री जीना रैमंडो भी शामिल हुईं
सोमवार और मंगलवार को हुआ होलिका दहन
होलिका दहन सोमवार और मंगलवार को हुआ। ऐसा इसलिए, क्योंकि पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर होलिका पूजन की मान्यता है। पूर्णिमा 6 और 7 मार्च दोनों दिन है। 28 साल पहले 26 मार्च 1994 को ऐसा ही हुआ था। तब भी पूर्णिमा तिथि दो दिन थी और सूर्यास्त के बाद शुरू होकर अगले दिन सूर्यास्त से पहले खत्म हो गई थी।
ये हैं होली से जुड़ी मान्यताएं…
1. वसंत ऋतु का पर्व – वसंतोत्सव
बसंत ऋतु के आने पर मौसम सुहाना हो जाता है। इस वक्त न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही ज्यादा ठंड। ज्यादातर सभ्यताओं में आग और पानी से जुड़े पर्व वसंत के स्वागत में हैं। होली भी वसंत का रूप है। पुराने समय में रंग उड़ाकर इस ऋतु के आने पर उत्सव मनाते थे। इसलिए इसे वसंतोत्सव भी कहते हैं।
2. चंद्रमा को अर्घ्य – चंद्रमा का प्राकट्य उत्सव
फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को कश्यप ऋषि के द्वारा अनुसूया के गर्भ से चंद्रमा का जन्म हुआ था। इसलिए इस तिथि पर चंद्रमा की विशेष पूजा और अर्घ्य देने का विधान बताया गया है। फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा करने से रोग नाश होता है। इस त्योहार पर पानी में दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
3. लक्ष्मी-नारायण पूजा – महालक्ष्मी प्रकटोत्सव
समुद्र मंथन के दौरान फाल्गुन पूर्णिमा पर महालक्ष्मी अवतरित हुई थीं। यही कारण है कि लक्ष्मी जयंती फाल्गुन पूर्णिमा को मनाई जाती है। लक्ष्मी जयंती के दिन को काफी शुभ माना जाता है, इस दिन किसी भी काम की शुरुआत कर सकते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है।
4. फसल पकने का समय- किसानों का त्योहार
पुराने समय में फाल्गुन महीने की पूर्णिमा पर फसलें पक जाती थीं। तब उत्सव मनाते थे। ये परंपरा आज भी है। होली के वक्त खासतौर पर गेहूं की फसल पक जाती है।
इस फसल के पकने की खुशी में होली मनाने की परंपरा है। इसलिए किसान जलती हुई होली में नई फसल का कुछ हिस्सा चढ़ाते हैं और खुशियां मनाते हैं। होली की आग में इसलिए डालते हैं क्योंकि आग के जरीये ही वो भगवान तक पहुंचती है। इसे यज्ञ की तरह माना गया है।