01/04/2023
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लोस अध्यक्ष बिरला बोले- न्यायपालिका मर्यादा का पालन करें: गहलोत बोले- बहुत बार लगता है अदालतें हमारे काम में हस्तक्षेप कर रही हैं

विधानसभा स्पीकर्स के सम्मेलन में सरकार और विधायिका के कामकाज में कोर्ट के गैर जरूरी दखल का मुद्दा उठा। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से लेकर लोकसभा अध्यक्ष अध्यक्ष ओम बिरला और सीएम अशोक गहलोत ने अदालती हस्तक्षेप के मुद्दे को उठाया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा— न्यायपालिका भी मर्यादा का पालन करे। न्यायपालिका से उम्मीद की जाती है कि नजो उनको संवैधानिक मैंडेट दिया है वह उसका उपसोग करे लेकिन अपनी शक्तियों का संतुलन बनाने में भी करें। हमारे सदनों के अध्यक्ष यह चाहते हैं।

कई बार लगता है अदालतें हमारे काम में दखल दे रही हैं, इंदिरा गांधी ने प्रीवीपर्स खत्म किए तो उसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था..
गहलोत ने कहा- कई बार न्यायपालिका से मतभेद होते हैं। कई बार लगता हैकि ज्यूडिशिरी हमारे कामों में हस्तक्षेप कर रही है। इंदिरा गांधी ने जब प्रीवीपर्स खत्म किए थे तो इसी ज्यूडिशिरी ने फैसले को रद्द कर दिया था। बाद में बैंकों के राष्ट्रीयकरण से लेकर उनके सब फैसलों के पक्ष में जजमेंट आए।
40 साल से मैंने भी देखा है कई बार हाउस नहीं चलता, 10—10 दिन गतिरोध चलता है। फिर भी पक्ष और विपक्ष मिलकर जो भूमिका निभाता है, पक्ष विपक्ष अपनी अपनी बात करते हैं। जब 75 साल निकल गए हैं तो देश का भविष्य बहुत उज्जवल है। हम संविधान की रक्षा करें। कई बार उस पर भी सवाल उठते हैं। देश में जो माहौल होता है उसका लोकसभा विधानसभा हाउस पर भी फर्क पड़ता है।

गहलोत बोले- ने​हरू ने विपक्ष के नेताओं को भी अपनी कैबिनेट में लिया था

सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि देश में लोकतंत्र की नींव ही ऐसी पड़ी की विपक्ष को महत्व दिया जाता है। नेहरू जब पहले पीएम बने तो उनकी कैबिनेट में विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया था। नेहरू ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी,बीआर अंबेडकर, एम सन्मुगम को अपनी कैबिनेट में लिया जो कांग्रेस में नहीं थे। देश में शुरुआत ऐसी हुई कि विपक्ष को महत्व दिया गया। वो पार्टी के नहीं थे फिर भी नेहरू ने उन्हें कैबिनेट में लिया। आज भी पक्ष और विपक्ष अपना—अपना महत्व रखता है।

स्पीकर्स के सामने रहती है चुनौतियां..
गहलोत ने कहा- विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी क्रांतिकारी नेता हैं, और ये अपनी बात जरूर कहते हैं। इनके माइंड में जो होता है वह कहते हैंं। स्पीकर के सामने हाउस चलाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। सरकार और विपक्ष के बीच संतुलन कायम रखना और अपनी क्रेडिबिलिटी कायम रखना बहुत बड़ी चुनौती होता है। वह चुनौती आप निभाते भी हो। हमारे उपराष्ट्रपति के तो ताजा ही हाउस चलाने के उदाहरण हो रहे हैं।

सीपी जोशी बोले- हम कार्यपालिका की तानाशाही से शासित हो रहे,विधानसभा स्पीकर हेल्पलेस हैं

राजस्थान विधानसभा के स्पीकर डॉ सीपी जोशी ने कहा है कि आज ससंदीय लोकतंत्र के सामने कई चुनौतियां हैं। आज हम कार्यपालिका की तानाशाही से शासित हो रहे हैं। विधानसभा सदनों की बैठकें ही कम हो रही हैं तो सरकारों को जवाबदेह कौन बनाएगा। जब विधानसभा की बैठकें ही कम होंगी तो अकाउंटेबिलिटी उतनी नहीं रहेगी। संसद और विधानसभाओं में चर्चा नहीं होगी तो वे अप्रासंगिक हो जाएंगी। कानून बनाने की प्रक्रिया पर न बोलें तो ही बेहतर हैं।

कानून बनाने में विधायकों की भूमिका कितनी है, सब जानते हैंं। सीपी जोशी विधानसभा स्पीकर्स के सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। जोशी ने कहा- विधानसभा स्पीकर तो हेलपलेस है। विधानसभा के स्पीकर तो केवल रेफरी हैं। स्पीकर विधानसभा नहीं बुला सकते हैं, यह काम सरकार करती है। दुर्भागय यह है कि हम केवल हाउस चलाते हैं, बाकी कोई पावर नहीं हैं, स्पीकर हेल्पलेस है। सीएम से कहना चाहता हूं कि विधानमंडल को वित्तीय स्वायत्तता दी जाए। सीएम आज आदर्श पेश कर नई शुरुआत करें।

राजस्थान विधानसभा में आज से दो दिन तक अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन (AIPOC) हो रहा है। इसमें देश भर के विधानसभा और विधान परिषद स्पीकर्स भाग ले रहे हैं। उपराष्ट्रपति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला अध्यक्षता कर रहे हैं। इस सम्मेलन में आज और कल देश भर से आए विधान सभा और विधान परिषदों के अध्यक्ष जी-20 से लेकर विधायिका और न्याय पालिका में टकराव रोकने के मुद्दों पर चर्चा करेंगे।

विधानसभा स्पीकर्स के नाम आने वाले कोर्ट नोटिस और कॉलेजियम का मुद्दा उठेगा

सम्मेलन के दौरान कल ​अदालतों से टकराव रोकने को लेकर होने वाले सेशन पर सबकी निगाहें रहेंगी। इस सेशन में विधानसभा स्पीकर्स को विधायकों के दल बदल और इस्तीफों के मामले में हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट से मिलने वाले नोटिस का मुद्दा उठेगा। राजस्थान विधानसभा स्पीकर से भी हाईकोर्ट विधायकों की याचिकाओं पर जवाब मांग चुका है। विधानसभा स्पीकर्स को जारी होने वाले कोर्ट नोटिस पर टकराव हो चुका है। दल बदल कानून के तहत विधायकों को अयोग्य ठहराने पर फैसला स्पीकर्स करते हैं, ये मामले कोर्ट में भी जाते हैं और यही टकराव का कारण बनते हैं। कई प्रदेशों में इस तरह के मkeys हो चुके हैं। कल के सेशन में इस पर चर्चा होगी। कॉलेजियम से जजों के चयन का सिस्टम बदलने पर भी चर्चा होगी।

इन मुद्दों पर होगी चर्चा..

विधानसभा और विधान परिषद स्पीकर्स के सम्मेलन में दो दिन जी-20 में भारत का नेतृत्व, संसद और विधानमंडलों को प्रभावी, जवाबदेह और उपयोगी बनाने की आवश्यकता, डिजिटल संसद के साथ राज्य विधानमंडलों को जोड़ना और विधायिका, न्यायपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की आवश्यकता पर अलग अलग सेशन में चर्चा होगी।

 

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