9.17 लाख नए वोटर्स, 1 अप्रैल को 18 साल के हो रहे युवा मतदान कर सकेंगे
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कुछ देर में होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कर्नाटक में 5.21 करोड़ मतदाता हैं, जो 224 विधानसभा सीटों पर मतदान करेंगे।
9.17 लाख वोटर्स पहली बार वोट डालेंगे। राजीव कुमार ने कहा कि हमने एक प्रोसेस पहले शुरू की थी। इसके तहत जो लोग 1 अप्रैल को 18 साल के होंगे, वो भी वोट डाल सकेंगे। इसके लिए हमने एडवांस एप्लीकेशन मंगवा ली थीं। मौजूदा भाजपा सरकार का कार्यकाल 24 मई को खत्म हो रहा है। इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और JDS के बीच रहेगा। पिछली बार JDS-कांग्रेस साथ थी, लेकिन इस बार JDS अलग चुनाव लड़ेगी।
कर्नाटक में 224 विधानसभा सीटें हैं। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 104, कांग्रेस को 78 और JDS ने 37 सीटें जीती थीं। किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। येदियुरप्पा ने 17 मई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सदन में बहुमत साबित नहीं करने के कारण 23 मई को इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कांग्रेस-JDS की गठबंधन सरकार बनी।
14 महीने बाद कर्नाटक की सियासत ने फिर करवट ली। कांग्रेस और JDS के कुछ विधायकों की बगावत के बाद कुमारस्वामी को कुर्सी छोड़नी पड़ी। इन बागियों को येदियुरप्पा ने भाजपा में मिलाया और 26 जुलाई 2019 को 219 विधायकों के समर्थन के साथ CM बीएस येदियुरप्पा बने, लेकिन 2 साल बाद ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। बसवराज बोम्मई को यहां का मुख्यमंत्री बना दिया गया।
2018 कर्नाटक विधानसभा चुनाव सबसे महंगा था
कर्नाटक में 12 मई 2018 को 222 विधानसभा सीटों पर वोटिंग हुई थी। जिसमें 5.06 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से रिकॉर्ड 72.13 प्रतिशत ने मतदान किया था। सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज ने अपने सर्वे में इसे सबसे महंगा चुनाव बताया था। कर्नाटक चुनाव में करीब 10 हजार 500 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे।
सबसे ज्यादा सीटें मुंबई-कर्नाटक और दक्षिणी कर्नाटक में हैं
224 विधानसभा सीटों वाला कर्नाटक 6 अलग-अलग हिस्सों में बंटा हुआ है। बेंगलुरु, सेंट्रल, तटीय, हैदराबाद-कर्नाटक, मुंबई-कर्नाटक और दक्षिणी कर्नाटक। मुंबई-कर्नाटक और दक्षिण कर्नाटक सबसे बड़े हिस्से हैं। मुंबई-कर्नाटक (50) और दक्षिण कर्नाटक (51) में 101 सीटें हैं।
अभी कर्नाटक का चुनावी माहौल क्या है
भाजपा: 150 सीटों का टारगेट, येदियुरप्पा बनेंगे कैंपेन कमेटी के हेड
भाजपा ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए 150 सीटों का टारगेट रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 महीने में 7 बार कर्नाटक का दौरा किया है। पिछले दौरे में बीएस येदियुरप्पा और मोदी की मुलाकात चर्चा का विषय रही है। मोदी 27 फरवरी को शिवमोगा पहुंचे थे और यहीं उन्होंने येदियुपप्पा का झुककर अभिवादन किया था। येदि संन्यास का ऐलान कर चुके हैं। 4 बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके 79 साल के येदियुरप्पा कैम्पेन कमेटी के हेड बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, येदियुरप्पा अपने बेटों के लिए रास्ता बनाना चाहते हैं।
कांग्रेस: इसी महीने 124 कैंडिडेट्स का ऐलान किया
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने 25 मार्च को 124 कैंडिडेट्स का ऐलान कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया वरुणा विधानसभा और कर्नाटक कांग्रेस चीफ डीके शिवकुमार कनकपुरा से चुनाव लड़ेंगे। राहुल गांधी ने 20 मार्च को कर्नाटक के बेलगावी में रैली की थी। उन्होंने सरकारी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। कहा था कि कर्नाटक सरकार देश की सबसे भ्रष्ट सरकार है, कुछ भी करवाना हो तो 40% कमीशन देना पड़ता है। उन्होंने आरक्षण को चुनावी मुद्दा भी बनाया और कहा कि सत्ता में आए तो SC-ST को मिलने वाले आरक्षण का कोटा बढ़ा दिया जाएगा।
कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी (AAP) ने 20 मार्च को अपने 80 कैंडिडेट्स का ऐलान किया है।
JDS: अकेले चुनाव लड़ेगी, दक्षिणी कर्नाटक पार्टी का गढ़
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा (89) की पार्टी जनता दल सेक्यूलर (JDS) 2018 विधानसभा चुनाव में किंगमेकर बनकर उभरी थी। भाजपा सबसे बड़ी पार्टी जरूर थी, लेकिन JDS ने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। तब देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारस्वामी 23 मई 2018 को CM बने थे।
हालांकि 23 जुलाई 2019 को विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद इनकी सरकार गिर गई। जनवरी में एक कार्यक्रम के दौरान पार्टी प्रमुख कुमारस्वामी ने कहा कि मोदी और शाह 100 बार भी अगर कर्नाटक में आ जाएं तो भी भाजपा की सरकार नही बनने वाली है। कुमारस्वामी ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि वे 2023 के चुनाव में अकेले चुनाव लड़ेंगे।
दक्षिणी कर्नाटक जिसे पुराना मैसूर भी कहा जाता है, JDS का यहां वर्चस्व रहा है। 2018 में इस क्षेत्र की 66 सीटों में से JDS को 30 सीटें मिली थीं। इसके अलावा कांग्रेस को 20 और भाजपा को 15 सीटें मिली थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने इस साल इन्हीं इलाकों में ज्यादातर दौरे किए हैं।
चुनाव से पहले आरक्षण, टीपू सुल्तान और हिजाब का मुद्दा.
1. मुस्लिमों का 4% आरक्षण खत्म
- 27 मार्च 2023 को कर्नाटक की भाजपा सरकार ने मुस्लिमों को मिलने वाला 4% आरक्षण खत्म कर दिया। राज्य की आबादी में इनकी संख्या करीब 13% है। उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को मिलने वाले 10% आरक्षण में शामिल कर दिया है। चुनाव से करीब एक महीने पहले लिए गए इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध किया है। राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा है कि अगर राज्य में उनकी सरकार बनी तो पहला कदम इस फैसले को पलटना होगा।
- कर्नाटक में पहली बार मुस्लिमों को पहली बार आरक्षण 1994 में एचडी देवगौड़ा सरकार में दिया गया। मुस्लिमों को सामाजिक आधार पर पिछड़ा मानते हुए उन्हें सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया गया।
2. आरक्षण पर बंजारा समुदाय की नाराजगी
- इसी महीने कर्नाटक सरकार ने आरक्षण को दो प्रमुख समुदायों, वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा में बांटा। पहले वोक्कालिगा समुदाय को 4% रिजर्वेशन मिलता था, अब 6% हो गया है। पंचमसालियों, वीरशैवों के साथ अन्य लिंगायत कैटेगरी के लिए अब 7% आरक्षण होगा। पहले यह 5% था।
- राज्य का बंजारा समुदाय इसका विरोध कर रहा है। फैसला आते ही भाजपा नेता बीएस येदियुरप्पा के घर और दफ्तर पर इस समुदाय के लोगों ने पथराव किया। उनका कहना है कि अनुसूचित जाति का आरक्षण कम कर दिया गया है।
- इन दलित समुदायों की तादाद राज्य में 20% है। पहले इन्हें 17% आरक्षण मिल रहा था। 27 मार्च 2023 को दलितों का आरक्षण कई हिस्सों में बांट दिया गया। इसी बात पर इनकी नाराजगी है।
3. टीपू सुल्तान इस बार भी चुनावी मुद्दा
- विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने दावा किया है कि वोक्कालिगा समुदाय के लोगों ने टीपू सुल्तान की हत्या की थी। टीपू सुल्तान स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। भाजपा का यह कदम करीब 14% आबादी वाले वोक्कालिगा समुदाय को अपने पाले में लाने वाला बताया जा रहा है।
- टीपू सुल्तान विवाद की शुरुआत 2015 में हुई थी। तब सिद्धारमैया की कांग्रेस सरकार ने 10 नवंबर को टीपू सुल्तान जयंती मनाने की घोषणा की थी। यहीं से भाजपा ने इसका विरोध शुरू किया। इसके साथ ही टीपू सुल्तान चुनावी मुद्दा बनना शुरू हो गया। इसके बाद JDS-कांग्रेस गठबंधन वाली एचडी कुमारस्वामी की सरकार ने भी जयंती मनाना जारी रखा।
- भाजपा ने जब 2019 में कर्नाटक में सरकार बनाई तो उसके तुरंत बाद फैसला लिया कि टीपू सुल्तान जयंती नहीं मनाई जाएगी। सरकार ने यह भी ऐलान किया कि स्कूलों के पाठ्यक्रम से टीपू सुल्तान वाला हिस्सा हटाया जाएगा। हालांकि, बाद में शिक्षामंत्री ने सफाई दी थी कि ऐसा कोई विचार नहीं है। पाठ्यक्रम से वो हिस्सा हटाया जाएगा, जो आधारहीन और काल्पनिक है।
4. हिजाब विवाद: सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुरक्षित
- राज्य में इस विवाद की शुरुआत 2021 में शुरू हुई। उडुपी के गवर्नमेंट कॉलेज में हिजाब पहनकर आई 6 स्टूडेंट को क्लास में दाखिल होने से रोक दिया गया। यहां शुरू हुआ विरोध पूरे राज्य में फैल गया।
- फरवरी 2022 में उडुपी के ही एक कॉलेज में हिंदू छात्र-छात्राए भगवा पहनकर आए। स्कूलों में जय श्री राम के नारे लगे। राहुल गांधी ने भी इस मुद्दे पर कहा कि हिजाब के जरिए छात्राओं की शिक्षा को रोका जा रहा है।
- फरवरी 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षा संस्थानों में धार्मिक लिबास नहीं पहना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। मार्च में हाईकोर्ट ने कहा कि धार्मिक रूप से हिजाब जरूरी नहीं इसलिए शिक्षा संस्थानों में इसे नहीं पहना जा सकता।
- फरवरी 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की। इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। इस मामले पर SC में लगातार 10 दिन सुनवाई चली थी।