भाजपा के गुजरात मॉडल में गौमाता चराई की जमीन के लिए तरस रही है
राज्य सरकार ने गौशालाओं के लिए सिर्फ कागजों पर बजट मंजूर किया है, जिसका नुकसान उसे चुनाव में उठाना पड़ सकता है.
इसे एक तरह से विडंबना कहें या एकतरफा नीतियों का नतीजा, (BJP) अपने बेशकीमती राज्य गुजरात में गौमाता के इर्द-गिर्द बुने गए जाल में फंस गई है. लाजमी है, गौमाता बीजेपी के लिए राष्ट्रवाद का प्रतीक है. दिसंबर में गुजरात में चुनाव (Gujarat Election) होने हैं, और भूपेंद्र पटेल सरकार को मालधारियों यानी पशुपालकों के जबरदस्त विरोध के बाद आवारा गायों के उत्पात को रोकने वाला बिल वापस लेना पड़ा. वरना उसे मालधारियों का वोट बैंक गंवाना पड़ता.
दरअसल गुजरात हाई कोर्ट ने सड़कों पर आवारा गायों की बढ़ती संख्या के चलते राज्य सरकार को फटकार लगाई थी. इसके बाद राज्य सरकार ने एक कानून पास किया था ताकि सड़कों पर गायों के उत्पात को काबू में किया जा सके और उन पशुपालकों को सजा दी जा सके, जो दुधारू न रहने वाली गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं.