नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी का नाम बदल कर अब प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी कर दिया गया है. पीआईबी ने प्रेस रिलीज़ के ज़रिए इस बदलाव की जानकारी दी है. प्रेस रिलीज़ के मुताबिक़, “नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी की एक विशेष बैठक में इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी सोसाइटी करने का निर्णय लिया गया. विशेष बैठक की अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की जो सोसायटी के उपाध्यक्ष हैं.”
पीआईबी ने ये भी कहा है कि “प्रधानमंत्री ने तीन मूर्ति के प्रांगण में सभी प्रधानमंत्रियों को समर्पित एक म्यूज़ियम बनाने की सलाह दी थी. एग्ज़िक्यूटिव काउंसिल की 25 नवंबर, 2016 को हुई बैठक में इस सुझाव को मान लिया गया. ‘प्रधानमंत्री संग्रहालय’ 21 अप्रैल, 2022 को जनता के लिए खोल दिया गया था.”
कांग्रेस ने इस ममाले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है. उन्होंने ट्वीट किया, “संकीर्णता और प्रतिशोध का दूसरा नाम मोदी है. 59 वर्षों से अधिक समय से नेहरू स्मारक संग्रहालय और पुस्तकालय एक वैश्विक बौद्धिक ऐतिहासिक स्थल और पुस्तकों और अभिलेखों का खजाना रहा है.”
“अब से इसे प्रधानमंत्री म्यूजियम और सोसायटी कहा जाएगा. पीएम मोदी भारतीय राष्ट्र-राज्य के शिल्पकार के नाम और विरासत को विकृत करने, नीचा दिखाने और नष्ट करने के लिए क्या नहीं करेंगे. अपनी असुरक्षाओं के बोझ तले दबा एक छोटे कद का व्यक्ति स्वघोषित विश्वगुरु बना फिर रहा है.”
दरअसल, तीन मूर्ति मार्ग पर बना ये म्यूज़ियम देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का घर रहा था. प्रधानमंत्री बनने से लेकर अंतिम सांस लेने तक नेहरू वहीं रहे. उनके निधन के बाद उनकी याद को संजोने के लिए बाद की सरकार ने इस घर को मेमोरियल घोषित कर दिया और घर के अहाते में एक लाइब्रेरी बनाई गई.