उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की घटनाओं के संदर्भ में इस्तेमाल हो रहे ‘लव जिहाद’, ‘जमीन जिहाद’ जैसे शब्दों पर खुलकर अपनी राय रखी। उन्होंने पर्यटकों के दबाव को देखते हुए बुनियादी ढांचे की विकास योजनाओं का भी जिक्र किया।देहरादून में आज यानी सोमवार को देश की जानी-मानी शख्सियतें अलग-अलग मुद्दों पर अपने विचार रख रही हैं।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लेकर देश के अंदर लंबे समय से मांग है। ये मांग आज नहीं हो रही। हम उत्तराखंड के परिवेश के लिए मांग कर रहे हैं। जब 2022 का विधानसभा चुनाव था, तब हमने उत्तराखंड की जनता के सामने संकल्प रखा था कि जब नई सरकार का गठन होगा, तब हम यूसीसी को लागू करेंगे और इसका मसौदा तय करने वाली कमेटी का गठन करेंगे। कमेटी ने सभी वर्ग के लोगों से बात कर ली है। उसका मसौदा तैयार हो रहा है। मुझे लगता है कि इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हम यह तुष्टीकरण या वर्ग विशेष के लिए नहीं लाए हैं। जो लोग जिहादी प्रवृत्ति के हैं, जो विधि या संविधान के अनुसार नहीं चलना चाहते, वे इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन देश का जनसामान्य इससे प्रसन्न है। मुस्लिम महिलाएं और अन्य प्रबुद्ध वर्ग भी इसका समर्थन कर रहा है।
जमीन जिहाद शब्द का प्रयोग किया जा रहा है। कहा गया कि एक विशेष वर्ग को टारगेट किया गया है, जमीनी स्थिति क्या है ?
धामी ने कहा कि बताना चाहता हूं कि किसी भी वर्ग को नुकसान पहुंचाना हमारा उद्देश्य नहीं है। उत्तराखंड देवभूमि है। यहां सब भाईचारे में रहते हैं। यहां किसी के बीच कटुता, वैमनस्य नहीं है। सबके बीच सौहार्द है। हमने कहा है कि जितनी भी सरकारी जमीनें हैं, वहां जो अतिक्रमण हुआ है, वह किसी भी वर्ग का हो, वह खुद ही हटा दें। 2,200 एकड़ से भी ज्यादा जमीनों को अब तक अतिक्रमण मुक्त कराया जा चुका है। आने वाले समय में यह संख्या बढ़ने वाली है। जो लागू कानून को नहीं मानते, जिन्हें कानून के साथ जीने की आदत नहीं, वह इस मुद्द को उठाते हैं। एक पार्टी ने देश की आजादी के बाद तुष्टीकरण किया है। उन्हें यह खराब लग रहा है। सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण को कौन जायज ठहरा सकता है?