जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज आज सुबह करीब 10 बजे बेंगलुरू पहुंचेंगे। दो दिवसीय दौरे पर शोल्ज 25 फरवरी को भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू से मुलाकात की थी।
प्रधानमंत्री मोदी और जर्मन चांसलर शोल्ज के बीच आतंकवाद द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर बातचीत हुई थी। आतंकवाद पर बातचीत करते हुए PM मोदी ने कहा था- आतंकवाद और अलगाववाद के खिलाफ लड़ाई में भारत और जर्मनी के बीच सक्रिय सहयोग है। दोनों देश इस बात पर भी सहमत हैं, कि क्रॉस बॉर्डर टेररिजम को खत्म करने के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत है।
रूस-यूक्रेन जंग पर भी चर्चा हुई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा- रूस-यूक्रेन जंग की शुरुआत से ही हम शांति की बात कह रहे हैं। हमने कहा है कि बातचीत करके मुद्दा सुलझाया जाए। भारत किसी भी शांति प्रक्रिया में योगदान के लिए तैयार है। इसी तरह सुरक्षा और डिफेंस को-ऑपरेशन भारत-जर्मनी स्ट्रैटिजिक पार्नटरशिप का एक महत्वपूर्ण पिलर बन सकता है। इस क्षेत्र में हमारे पोटेंशियल को पूरी तरह इस्तेमाल करने के लिए हम साथ मिलकर कोशिश करते रहेंगे।
वहीं, जर्मन चांसलर शोल्ज ने कहा- पुरी दुनिया रूस-यूक्रेन जंग का खामियाजा दुनिया भुगत रही है। ये बड़ी तबाही है क्योंकि हम जानते हैं कि ये जंग उन इकोनॉमिक प्रिंसिपल्स का उल्लंघन करती है जिन पर हम सभी सहमत थे।
दोनों देशों के बीच गहरी समझ है
PM मोदी ने कहा- भारत और जर्मनी ट्रैंगुलर डेवलपमेंट को-ऑपरेशन के तहत थर्ड वर्ल्ड के डेवलपमेंट के लिए आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं। पिछले कुछ सालों में हमारे बीच पीपुल-टू-पीपुल संबंध भी गहरे हुए हैं। पिछले साल मेरी जर्मनी यात्रा के दौरान हमने ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप की घोषणा की थी। इसके माध्यम से, हम क्लाइमेट एक्शन और सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं।
शोल्ज बोले- जर्मनी में भी भारतीयों को नौकरी मिले
शोल्ज ने कहा- लगभग 1,800 जर्मन कंपनियां भारत में सक्रिय हैं। इनमें हजारों भारतीय नौकरियां करते हैं। हमें प्रतिभा चाहिए, हमें स्किल्ड वर्कर्स की जरूरत है। भारत में IT और सॉफ्टवेयर का विकास तेजी से हो रहा है। भारत में इतनी प्रतिभा है और हम दोनों देशों के संबंधों का लाभ उठाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि जर्मनी में भी भारतीयों को नौकरी मिले। भारत और जर्मनी के बीच पहले से ही अच्छे संबंध हैं। हम इन्हें मजबूत करते रहेंगे।
म्यूनिख काउंसिल में भारत के साथ जर्मनी:जयशंकर ने कहा था- यूरोप की समस्या दुनिया की समस्या नहीं, जर्मन चांसलर बोले- हम इससे सहमत
जर्मनी के म्यूनिख शहर हुई सिक्योरिटी काउंसिल में चांसलर ओलाफ शोल्ज ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के 9 महीने पुराने ‘यूरोपियन माइंडसेट’ वाले बयान पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा- जयंशकर की विचारधारा में बदलाव वाली बात में दम है।
जयशंकर जून 2022 को विदेश मंत्री एस जयशंकर यूरोप के स्लोवाकिया पहुंचे थे। यहां उन्होंने कहा था- यूरोप को इस मानसिकता से बाहर निकलना होगा कि यूरोप की समस्याएं दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्याएं नहीं हैं।
जयशंकर का बयान म्यूनिख काउंसिल की रिपोर्ट में शामिल
जर्मन चांसलर ने कहा- विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान को इस साल की म्यूनिख सिक्योरिटी काउंसिल की रिपोर्ट में शामिल किया गया है, क्योंकि अगर बड़ी ताकतें इंटरनेशल रिलेशन्स को अपने मुताबिक ढालना चाहती हैं, तो यह केवल यूरोप की समस्या नहीं है।
सभी देशों के हितों पर मिलकर काम करना होगा : शोल्ज
जर्मन चांसलर शोल्ज ने कहा- हमें साथ मिलकर सभी देशों के हितों में काम करना होगा। साथ ही सभी देशों की चिंताओं को दूर करना होगा। मैं वास्तव में इन क्षेत्रों में मिलकर काम करना चाहता हूं। इससे भुखमरी और गरीबी जैसी चुनौतियों का समाधान खोजा जा सकता है। कुछ चुनौतियां रूस-यूक्रेन जंग के साथ-साथ क्लाइमेट चेंज और कोवड-19 के कारण भी सामने आई हैं।
अमेरिका-यूरोप की नीतियों को गलत बता चुके हैं जयशंकर
भारत ने गेहूं निर्यात पर बैन लगा रखा है। चीन ने भारत के इस फैसले का समर्थन किया था। दुनियाभर मे इसको लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार पर जयशंकर ने जून 2022 में कहा था कि भारत ने इस साल अब तक 23 देशों को गेहूं का निर्यात किया है। मैं पूछता हूं अमेरिका और यूरोपीय देश ईरान के तेल को बाजार में क्यों नहीं आने दे रहे हैं? वे क्यों नहीं वेनेजुएला को बाजार में अपना तेल बेचने दे रहे हैं?
जयशंकर ने यह भी कहा था कि अमेरिका और यूरोप ने हमारे पास तेल के जो भी स्रोत हैं, उसे निचोड़ लिया है। अब वे कह रहे हैं कि आप हमारे पास आइए हम सबसे अच्छी डील देंगे। मैं नहीं समझता हूं कि यह एक ठीक रवैया है।
रूस से तेल खरीदने पर भी अमेरिका को आइना दिखाया
इससे पहले, अमेरिका में 2+2 वार्ता के दौरान भी जयशंकर ने तेल खरीदने को लेकर अमेरिका को घेरा था। जयशंकर ने कहा था कि भारत रूस से जितना तेल महीने भर में नहीं खरीदता, उससे अधिक तेल यूरोप रूस से एक दोपहर में खरीद लेता है। उन्होंने इस दौरान कहा था- यदि आप रूस से भारत की ऊर्जा खरीद पर बात करना चाहते हैं तो मेरा सुझाव है कि आपको यूरोप पर ध्यान देना चाहिए।