उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला (पंजाब) और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग उदयपुर की दो दिवसीय संगोष्ठी एवं कला सृजन कार्यशाला सूचना केन्द्र में शुरू हुई। मुख्य अतिथि पूर्व राज परिवार के सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि मेवाड़ प्राचीनकाल से ही कला और संस्कृति के संरक्षण में अग्रणी रहा है, आगे भी रहेगा। डॉ. मेवाड़ ने कहा कि कलाकारों का यह हुनर भी हमारी जीवन्त धरोहर है जिसके संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए सभी को आगे आना होगा। इससे हुनरमंदों को रोजगार मिलेगा और भावी पीढ़ी हमारी इन अनूठी कला से रूबरू होती रहेगी। उन्होंने कहा कि कलाकारों का दायरा असीमित होता है और यहां उदयपुर में हर क्षेत्र के कलाकार है।
अध्यक्षता करते हुए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक मो. फुरकान खान ने कहा कि कलाकार रचनाओं का सृजन करें जो आमजन के समझ में आए और मन भाए। उन्होंने कहा कि कलाकार के पास हुनर की कोई कमी नहीं है और इसी हुनर को जीवन्त रखते हुए कला को एक विशिष्ट पहचान देनी होगी।
देश-विदेश तक भेजी जाती है उदयपुर की पेंटिंग्स: डॉ. शर्मा
विशिष्ट अतिथि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलेश शर्मा ने कहा कि उदयपुर में कई तरह के फेस्टिवल और मेलों का आयोजन होता है, ऐसे में हम सभी लक्ष्य साधकर आगे बढ़े तो आने वाले दिनों में स्मार्ट सिटी में एक आर्ट फेस्टिवल की नींव भी रखी जा सकती है। यह सभी कलाकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने कहा के हमारे बीच ऐसे कलाकार है जिनकी पेंटिंग्स देश-विदेशों में भेजी जाती है, ऐसे छायाकार है जिनके छायाचित्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवाजा गया है। इन कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए यह कार्यशाला एक पहल है।
कला विषय पर इन्होंने दिए सुझाव
कार्यशाला में जिले के चित्रकार डॉ. चित्रसेन, चेतन औदीच्य व प्रेषिका द्विवेदी, शिल्पकार हेमंत जोशी व डॉ.निर्मल यादव, विधान द्विवेदी व युवराज मालवीया, ब्लॉगर व सोशल मीडिया एक्सपर्ट मनीष कोठारी, विपुल वैष्णव, अभय भाटी व सुनील व्यास आदि ने आधुनिकता के इस दौर में कलाओं के विस्तार और विकास पर सुझाव दिए।