देवकीनंदन ने कहा, “अभी कुछ पर्सनल बोल दूंगा तो…”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत का जाति व्यवस्था को लेकर दिया बयान चर्चा में है. इसमें उन्होंने जाति व्यवस्था के लिए ब्राह्मणों को जिम्मेदार ठहराया है. एक जनसभा में मोहन भागवत ने कहा-
भगवान के लिए सभी लोग एक समान है. उनमें कोई जाति या वर्ण नहीं है. लेकिन पंडितों ने अलग-अलग श्रेणी बनाई जो कि गलत था. समाज के इस बंटवारे का फायदा बाहर वालों ने उठाया. जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या अलग कैसे हो गया?
RSS प्रमुख का ये बयान रविवार, 5 फरवरी को आया. जाति व्यवस्था का जिक्र करते हुए मोहन भागवत ने कहा-
काशी का मंदिर टूटने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज ने औरंगजेब को पत्र लिखकर कहा था कि हिंदू और मुस्लिम ईश्वर के एक ही बच्चे हैं. अगर ये बात आपको अमान्य होगा तो उत्तर में आपसे युद्ध करने के लिए आना पड़ेगा.
भागवत आगे कहते हैं- जब हम आजीविका कमाते हैं, तो समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी होती है. जब हर काम समाज के लिए होता है तो कोई काम बड़ा या छोटा या अलग कैसे हो सकता है? भगवान ने हमेशा कहा है कि उनके लिए हर कोई समान है और उनके लिए कोई जाति, संप्रदाय नहीं है, ये पुजारियों द्वारा बनाया गया है जो गलत है.
इसके साथ ही मोहन भागवत का मानना है कि लोगों को धर्म के साथ बने रहना चाहिए. उनका कहना है कि देश भर में विवेक और चेतना सभी एक समान हैं. इसमें कोई अंतर नहीं है, बस मत अलग-अलग हैं. भागवत के मुताबिक आज के हालात पर ध्यान देते हुए लोग किसी भी सूरत में धर्म को ना छोड़ें. RSS प्रमुख ने कहा,
संत रोहिदास (महाराष्ट्र में संत रविदास को रोहिदास कहा जाता है) ने कहा था कि धर्म के अनुसार कर्म करो. पूरे समाज को जोड़ो, समाज की उन्नति के लिए काम करना- यही धर्म है. ये उन्होंने बताया. सिर्फ अपने बारे में सोचना और पेट भरना ही धर्म नहीं है. संत रोहिदास का नाम लेते ही उनका काम आगे लेकर जाने वाले महात्मा फूले और आंबेडकर का नाम याद आता है. संत रोहिदास ने जो काम अपने जीवन में किया है, वो समाज में समानता समरसता बनाने का है. समाज और धर्म को द्वेष के नजर से मत देखो. गुणी बनो, धर्म का पालन करो.
मोहन भागवत का जाति व्यवस्था को गलत बताना कई हिंदू संतों को रास नहीं आ रहा है. उनका बयान सामने आते ही चर्चित हिंदू संत देवकी नंदन की प्रतिक्रिया आई. उन्होंने जाति व्यवस्था का समर्थन करते हुए वेदों का हवाला दिया. कहा कि वेद खुद भगवान ने बनाए इसलिए उनमें दिए गए नियमों को नकारा नहीं जा सकता. आजतक के मुताबिक देवकीनंदन ने कहा-
“मैं निजी तौर पर इतना जानता हूं कि अपने धर्म को, इस परमात्मा के ब्रह्मांड में किसी व्यक्ति ने संसार नहीं बनाया है. चाहे सूर्य की व्यवस्था हो, चंद्र की अग्नि या समुद्र की, ये सब किसी साइंटिस्ट के बनाए हुए नहीं हैं. पृथ्वी अटकी हुई है. ये किसी साइंटिस्ट का विषय नहीं है. कोई है जो क्रिएटर है. उसने अकेले मानव को नहीं बनाया. हर चीज के नियम भी बनाए हैं. जब मनुष्य बनाकर भेजे तो कुछ नियम भी बनाकर भेजे ही होंगे. उसके लिए वेद गवाह हैं. मैं कुछ पर्सनल बोल दूंगा तो बुरा लग जाएगा. आप पढ़िए तो, वेद तो वेद व्यास के द्वारा भी लिखे गए नहीं हैं. वे स्वयं भगवान के द्वारा लिखे गए हैं.”
देवकीनंदन ने आगे कहा कि वेद किसी व्यक्ति के द्वारा रचित नहीं हैं. उनमें जो व्यवस्था है वही ‘भगवान का संविधान’ है.