भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आसींद यात्रा के जरिए गुर्जर समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश तो की। लेकिन वहां मोदी द्वारा किसी तरह की कोई बड़ी घोषणा नहीं करने के बाद अब यह सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या भाजपा के प्रति अब भी गुर्जर समाज आकर्षित हो सकेगा।
पीएम मोदी की यात्रा से पहले राजनीतिक और सामाजिक हलकों में यह चर्चा लगातार हो रही थी कि वे वहां कोई धार्मिक कॉरिडोर की घोषणा करेंगे। इससे पहले भाजपा ने इस तरह का फोकस आदिवासियों और ओबीसी समुदाय की तरफ किया था, जिससे उसे राजनीतिक सफलता मिली।
5 राज्यों के विधानसभा, लोकसभा चुनाव पर नजर
भाजपा की निगाहें इस वर्ष होने वाले पांच राज्यों के चुनावों और अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों पर हैं। पांच राज्यों की करीब 35 लोकसभा सीटों और राजस्थान की 40 विधानसभा सीटों सहित अन्य राज्यों की लगभग 100 विधानसभा सीटों पर गुर्जर समुदाय मजबूत वोट बैंक है।
यह अलग बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने आसींद में किसी तरह की कोई बड़ी घोषणा नहीं की, लेकिन गुर्जर समुदाय से स्वयं और भाजपा का गहरा नाता बताया।
कमल के फूल से भगवान देवनारायण का उद्भव
पीएम मोदी ने आसींद में दिए भाषण में कहा कि भगवान देवनारायण भी कमल के फूल से प्रकट हुए थे और जी-20 का निशान भी कमल का फूल है। जी-20 में भारत की धाक जम रही है। भाजपा का निशान भी कमल का फूल है। मोदी ने आगे कहा कि हमारी तो पैदाइश ही कमल के फूल के साथ हुई है, तो गुर्जर समुदाय से हमारा गहरा नाता है।
मोदी ने समाज की वीरांगनाओं के नाम पर रामप्यारी गुर्जर और पन्नाधाय को भी याद किया। उन्होंने गुर्जर समाज के महापुरुषों के नाम लेकर कहा कि उन्हें इतिहास में वो स्थान नहीं मिला जिसके वे हकदार थे। राजस्थान में इस वर्ष के अंत में चुनाव है। पिछले चुनावों (2018) में राजस्थान में भाजपा के टिकट पर एक भी गुर्जर विधायक को जीत नहीं मिली थी। ऐसे में पीएम मोदी का यह भाषण गुर्जर समुदाय में कितना असर दिखा पाएगा यह भविष्य के गर्भ में है।
आदिवासियों का साथ मिला गुजरात में
गुजरात चुनावों से ठीक पहले 1 नवंबर 2022 को पीएम मोदी ने मानगढ़ (बांसवाड़ा-दाहोद सीमाक्षेत्र) में आदिवासियों के नायक रहे गोविंद गुरू की स्मृति में स्मारक पर सभा की थी। मोदी ने वहां राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों के मुख्यमंत्रियों से राष्ट्रीय स्मारक बनाने के लिए एक साझा प्रयास करने की बात कही।
उसके बाद गुजरात में हुए चुनावों में भाजपा को अब तक के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ी जीत मिली। भाजपा को प्रदेश की 182 सीटों में से 156 सीटों पर जीत मिली। आदिवासी बहुल 28 में से 26 पर उसे जीत मिली।
यूपी में मिला ओबीसी का समर्थन
देश के सबसे बड़े राज्य में मार्च-2022 में हुए चुनावों से ठीक पहले यह माना जा रहा था कि प्रदेश में यादव और जाट समुदाय जो ओबीसी में हैं, वे भाजपा के विरुद्ध वोट करेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ओबीसी समाज को लगातार भाजपा से जोड़ने के लिए किए गए प्रयासों के चलते उत्तरप्रदेश में भाजपा को लगातार सरकार रिपीट करने में सहायता मिली।
भाजपा सरकार ने यूपी और केन्द्र में ओबीसी समाज का आरक्षण बरकरार रखने, क्रीमीलेयर की आय सीमा 8 लाख रुपए वार्षिक रखने सहित बहुत से निर्णय किए थे।
2018 में भाजपा का एक भी गुर्जर विधायक चुनाव नहीं जीता
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट से एक भी गुर्जर विधायक को चुनाव जीतने में कामयाबी नहीं मिली थी। उस वक्त कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट थे, जिन्हें बाद में डिप्टी सीएम बनाया गया। उनके अलावा भी इसी समुदाय से शकुंतला रावत, अशोक चांदना को मंत्री बनाया गया।
बसपा से आए जोगेंद्र सिंह अवाना बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। कांग्रेस ने इस समुदाय को खुश करने की भरपूर कोशिश की। अब 2023 में भाजपा चाहती है कि गुर्जर समुदाय का उसे पूरा समर्थन मिले। ऐसे में आसींद में होने वाले समाज के सबसे बड़े कार्यक्रम में पीएम मोदी के आने का एक अलग मैसेज समाज में जाएगा।
क्यों जरूरत है भाजपा को गुर्जर समुदाय की
राजस्थान की कुल 25 लोकसभा सीटों में से टोंक-सवाईमाधोपुर, करौली-धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अजमेर, भीलवाड़ा, झालावाड़-बारां, कोटा-बूंदी, जयपुर ग्रामीण, झुन्झुनूं, अलवर, चित्तौड़गढ़ जैसी 12 सीटों पर गुर्जर मतदाता संख्या के मामले में पहले, दूसरे, तीसरे या चौथे नम्बर के पर आते हैं। इन सीटों पर वे चुनाव जिताने-हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ऐसे ही 200 विधानसभा सीटों में से विराट नगर, जमवारामगढ़, कोटपूतली, देवली, मालपुरा, टोंक, सवाईमाधोपुर, खंडार, दौसा, सिकराय, भरतपुर, बयाना, हिंडौली, जहाजपुर, आसींद, मांडल, शाहपुरा, दूदू, अलवर, लक्ष्मणगढ़, टोडाभीम, लालसोट, बेगूं, कोटा उत्तर, झालरापाटन, किशनगढ़, पुष्कर, नसीराबाद, मसूदा, केकड़ी, करौली, बूंदी, आसींद, भीम, खेतड़ी, नीमका थाना, केशोरायपाटन, बहरोड़, बानसूर, अलवर आदि विधानसभा की सीटों पर गुर्जर समुदाय का खास दबदबा है।
राजस्थान, यूपी, एमपी, पंजाब, हरियाणा में गुर्जर समुदाय बड़ा वोट बैंक
राजस्थान के अलावा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली व कश्मीर में गुर्जर समुदाय बड़ा वोट बैंक है। इनमें से हिमाचल, दिल्ली और पंजाब में भाजपा की सरकारें नहीं हैं। ऐसे में इस समुदाय को इन क्षेत्रों में भी पार्टी खुद से जोड़ना चाहती है।
इन राज्यों में ग्वालियर, मेरठ, दिल्ली, मुरैना, पानीपत, कुरूक्षेत्र, कैथल, महेन्द्रगढ़, भिवानी, शिमला, जम्मू, श्रीनगर, बागपत, बिजनौर, मथुरा, झांसी, मंदसौर, नीमच, शिवपुरी, आगरा, चंडीगढ़, सिरसा, सोनीपत, कैराना, बुलंदशहर, मुजफ्फनगर, सहारनपुर आदि क्षेत्रों में करीब 100 विधानसभा सीटों पर गुर्जर समुदाय पहले, दूसरे, तीसरे या चौथे नम्बर का सबसे बड़ा वोट बैंक माना जाता है।