संसद में बुधवार को पेश किए गए बजट में बाजरे और पशुओं के गोबर से जुड़ी दो घोषणाएं राजस्थान की किस्मत पलट सकती हैं। भारत को मोटे अनाज उत्पादन में वैश्विक हब बनाने और ऑर्गेनिक खाद के लिए 10 हजार गोबर इनपुट केंद्र खोलने की घोषणा की गई है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बाजरा को श्री अन्न (भगवान का भोजन) नाम दिया है।
राजस्थान बाजरा उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है। यहां परम्परागत रूप से सदियों से बाजरा, जौ, ज्वार, मक्का जैसे मोटे अनाज उगाए जा रहे हैं। राजस्थान में करीब 5 करोड़ 50 लाख लोग खेती से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार इन घोषणाओं पर गंभीरता से काम करें तो राजस्थान में रहने वाले 7.50 करोड़ में से 5.50 करोड़ लोगों की तकदीर बदल सकती है।
मोटे अनाज के बारे में केन्द्रीय बजट घोषणाएं
- देश को बाजरा उत्पादन में वैश्विक हब बनाना है।
- देश में एक रिसर्च संस्थान विशेषकर बाजरे के लिए खोला जाएगा।
- मोटे अनाज की खेती के लिए मिलने वाले खाद पर 50 प्रतिशत की छूट रहेगी।
- मोटे अनाज उत्पादन के लिए ऑर्गेनिक खाद तैयार करने के लिए देश भर में 10,000 बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (गोबर संग्रहण के लिए) स्थापित किए जाएंगे। इसे गोबर धन स्कीम का नाम दिया गया है।
- युवाओं के लिए एग्री स्टार्टअप खोलने के लिए आसान किश्तों पर बैंकों से लोन मिल सकेगा। सरकार इसके लिए बैंकों को कृषि वर्धक निधि के तहत आर्थिक सहायता देगी।
- किसानी के लिए 20 लाख करोड़ रुपए का कृषि ऋण फंड बनाया जाएगा, जिसके तहत किसानों को सीधे लोन मिल सकेगा।
राजस्थान है बाजरे के उत्पादन में अव्वल
कृषि मंत्रालय के अनुसार देश में 4 हजार 685 टन वार्षिक उत्पादन के हिसाब से राजस्थान पूरे देश में नंबर वन पर है। राजस्थान के बाद 1939 और 1019 टन वार्षिक उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश और हरियाणा का नंबर आता है। ऐसे में बाजरे की मार्केटिंग से जुड़ी विशेष योजना लागू होने से राजस्थान के खेतों से निकलकर बाजरा दुनिया भर की भोजन थालियों में पहुंच सकता है।
गोबर भी देगा अब कमाकर
ऑर्गेनिक खाद बनाने के लिए देश भर में जो 10 हजार केंद्र खोले जाने हैं, उनके जरिए लोगों को अब गोबर भी कमा कर देगा। यूपी के बाद पशुपालन में राजस्थान दूसरे नंबर पर आता है। यहां 56.8 मिलियन पशु पाले जाते हैं। ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि राजस्थान में भी अन्य राज्यों के मुकाबले ऑर्गेनिक खाद केंद्र ज्यादा स्थापित होंगे। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
बजट में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा है कि दुनिया भर में करीब 700 करोड़ (सात अरब) लोग हैं, जिनके सामने सबसे बड़ा संकट भूख से लड़ना है। ऐसे में भारत के मोटे अनाज ऐसी फसल है, जो कम पानी और कम जमीन पर ज्यादा उगाई जा सकती है। इस फसल का उत्पादन बढ़ाकर भारत विश्व की 5वें नंबर की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़कर पहले नंबर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।
5-F देता है बाजरा : प्रो. एनएस राठौड़
वनस्पति-कृषि वैज्ञानिक प्रो. एन. एस. राठौड़ (पूर्व कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर, जयपुर) ने भास्कर को बताया कि राजस्थान के लिए बाजरा उत्पादन को बढ़ाने से बेहतर और कुछ नहीं हो सकता। हमारे यहां पानी की कमी है। ऐसे में बाजरा ही मुफीद है। बाजरा 5-F (फूड-भोजन, फैब्रिक-कपड़ा, फर्टिलाइजर-खाद, फ्यूल-ईंधन, फॉडर-चारा) की जरूरतों को पूरा करने वाला अनाज है। बाजरे का उत्पादन और खपत बढ़ने से पानी की भी बचत होगी और कम जमीन से ज्यादा लोगों की खाद्यान्न जरूरतें पूरी हो सकेंगी। राजस्थान सरकार को अपना बजट केंद्र के इस बजट को ध्यान में रखते हुए ही तैयार करना चाहिए, ताकि इस बजट और इसकी घोषणाओं का लाभ राजस्थान को मिल सके।
अब राज्य सरकार करे फोकस: प्रो. त्रिवेदी
वनस्पतिशास्त्री और जोधपुर व बीकानेर विश्वविद्यालयों में कुलपति रहे प्रो. पी. सी. त्रिवेदी ने भास्कर को बताया कि बाजरा उत्तर, पश्चिम व मध्य भारत की जलवायु के अनुसार श्रेष्ठ फसल है। केंद्र के बजट में जो फोकस बाजरे पर दिखाया गया है, राजस्थान सरकार को उस फोकस को ध्यान में रखते हुए ही अपना बजट लाना चाहिए।
2018 में बाजरा वर्ष घोषित, अब संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2023 को विश्व स्तर पर घोषित किया
कुपोषण और गरीबी से लड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 को बाजरा वर्ष घोषित किया था। मोदी की पहल के बाद 2021 में संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएनओ) ने वर्ष 2023 को दुनिया भर के लिए बाजरा वर्ष के रूप में घोषित कर दिया है। यूएनओ के अनुसार कोरोना काल के बाद एक फूड है तो वो बाजरा है, जो लोगों की भूख भी शांत करता है और इम्यूनिटी पावर भी बढ़ाता है।