24/09/2023
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गहलोत की बजट रिप्लाई की घोषणाओं के बाद सियासी नुकसान का तोड़ निकालने में जुटी भाजपा

केन्द्रीय कार्यसमिति से दुबारा की जाएगी सियासी चर्चा

प्रदेश में 19 जिले और 3 संभागों की घोषणा कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जहां आगामी चुनाव के मद्देनजर मतदाताओं को साधने का प्रयास किया है तो वहीं प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी को भी बैकफुट पर ला दिया है। 19 जिलों और तीन संभागों की के बाद अब बीजेपी भी अपनी रणनीति में बदलाव करने तैयारी में है।

अभी तक लचर कानून व्यवस्था, पेपर लीक मामले, महिला अपराध और बेरोजगारी को लेकर लगातार सड़क से लेकर सदन तक सरकार को घेरने वाली बीजेपी अब नए जिलों घोषणा के बाद अपने लिए इसका सियासी नफा नुकसान का आंकलन करने में जुटी है।

बीजेपी थिंक टैंक भी नए जिलों के गठन के बाद अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं के जरिए जमीनी फीडबैक लेकर सियासी नफा नुकसान का आंकलन करने में जुटी है। बीजेपी थिंक टैंक को इस बात की चिंता है कि नए जिलों के गठन के बाद मतदाताओं का रुख सरकार के लिए नरम हो सकता और आगामी विधानसभा चुनाव में अगर मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस की तरफ हो गया तो फिर बीजेपी के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है, इसी को ध्यान में रखते हुए गठित हुए 19 जिलों के कार्यकर्ताओं और नेताओं से स्थानीय जनता का फीडबैक लिया जा रहा है।

नए जिलों के गठन के विरोध से परहेज
सूत्रों की माने तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित कई अन्य नेताओं ने भले ही ट्वीट करके नए जिलों के गठन को लेकर सरकार पर कई सवाल खड़े किए हों लेकिन कोई भी खुलकर अब नए जिलों के गठन का विरोध करने से परहेज कर रहा है। सियासी हलकों में चर्चा है कि चाहकर भी बीजेपी इसका विरोध नहीं कर रही है क्योंकि अगर पार्टी की ओर से नए जिलों के गठन का खुलकर विरोध किया जाता है तो मतदाताओं के नाराज होने की आशंका है।

हालांकि पार्टी में ही अधिकांश नेता ऐसे भी हैं जो नए जिलों के गठन से खुश हैं। पार्टी के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल के निर्वाचन क्षेत्र शाहपुरा को भी गहलोत सरकार ने जिला घोषित किया है तो वहीं विधायक शंकर सिंह रावत के निर्वाचन क्षेत्र ब्यावर को भी जिला घोषित किया गया है। इसके अलावा भाजपा विधायक पब्बाराम के निर्वाचन क्षेत्र फलोदी को भी जिला बनाया गया है। ऐसे में पार्टी नेताओं को भी आशंका है कि अगर नए जिलों के गठन का विरोध किया जाता है तो अपने भी विधायकों की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है।

नए सिरे से चुनावी रणनीति पर मंथन
बताया जाता है कि नए जिलों के गठन के बाद अब बीजेपी अपनी चुनावी रणनीति में बदलाव करेगी। लचर कानून व्यवस्था, पेपर लीक मामलों के साथ-साथ अब बीजेपी सरकार के जन घोषणा पत्र और बजट घोषणाओं को लेकर हमले तेज करेगी। जनता के बीच गहलोत सरकार के जन घोषणा पत्र और बजट घोषणाओं पर कितना काम हुआ है उसे लोगों के बीच ले जाया जाएगा। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुक्रवार को अनुदान मांगों पर रिप्लाई के दौरान प्रदेश में 19 नए जिले और 3 संभागों की घोषणा की थी। नए जिलों की घोषणा के बाद अब राजस्थान में 50 जिले और 10 संभाग हो गए हैं।

 

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