राजस्थान में होने जा रहे यूथ कांग्रेस के चुनाव में महासचिव पद पर ट्रांसजेंडर के लिए रिजर्व सीट रखी गई है। राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में पहली बार किसी पार्टी में संगठनात्मक रूप से कोई सीट ट्रांसजेंडर के लिए रखी गई है। हाल ही में राजस्थान में यूथ कांग्रेस के चुनावों की घोषणा हुई है। इन चुनावों में संगठन में महासचिवों की संख्या को 10 से बढ़ाकर कांग्रेस ने 45 कर दिया है। पहली बार इतनी बड़ी संख्या में महासचिव चुने जाएंगे।
यूथ कांग्रेस के इन 45 महासचिवों में 14 सीटें तो ओपन होंगी। इसके अलावा 1 सीट ट्रांसजेंडर के लिए तो 1 सीट फिजिकल हैंडिकैप्ड के लिए रिजर्व होगी। वहीं महिलाओं को बढ़ावा देने के लिए 11 सीटें महिलाओं के लिए भी रिजर्व रखी गई है। इसके अलावा एससी-एसटी की महिलाओं के लिए 2 सीटें होंगी। वहीं पांच सीटें माइनॉरिटी, 5 सीटें ओबीसी, 3 एससी और 3 एसटी के लिए रिजर्व रखी गई हैं। अबतक कांग्रेस सिर्फ 10 महासचिव बनाती थी।
पहली बार ट्रांसजेंडर को दिया जा रहा मौका : माहिन खान
यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव माहिन खान मेकश का कहना है कि पहली बार कांग्रेस पार्टी और यूथ कांग्रेस के अंदर किसी ट्रांसजेंडर को भी मौका देने का काम किया गया है। पहले 10 महासचिव बनते थे, लेकिन अब सभी जाति-वर्ग और महिलाओं को प्रतिनिधित्व दिया गया है। ये कॉन्सेप्ट यूथ कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर भी अडॉप्ट किया है। उसी के तहत राजस्थान में भी ट्रांसजेंडर की पोस्ट क्रिएट की गई है। वहीं जिलाध्यक्षों को लेकर भी एआईसीसी के पैटर्न को पीसीसी ने अडॉप्ट किया और अब यूथ कांग्रेस भी उसे अडॉप्ट कर रहा है।
पूरा प्रोसेस होगा ऑनलाइन, चार पदों के लिए पड़ेंगे वोट
यूथ कांग्रेस की मेम्बरशिप और चुनाव का पूरा प्रोसेस इस बार ऑनलाइन ही होगा। डिजिटली एप के माध्यम से ही नए कार्यकर्ता यूथ कांग्रेस से जुड़ेंगे और उसके बाद वे ऑनलाइन ही अपने कैंडिडेट के लिए वोट करेंगे। इस बार चार पदों के लिए वोट पड़ेंगे। इनमें प्रदेशाध्यक्ष, प्रदेश महासचिव, जिलाध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष शामिल हैं। इस बार जिला महासचिव के पद के लिए वोटिंग हटा दी गई है।
पीसीसी की तर्ज पर यूथ कांग्रेस में भी शहर-ग्रामीण जिलाध्यक्ष
यूथ कांग्रेस ने इस बार संगठनात्मक ढांचे में भी बदलाव किया है। पीसीसी की तर्ज पर अब यूथ कांग्रेस में भी शहर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष होंगे। ऐसे में इस बार 40 जिलाध्यक्ष यूथ कांग्रेस के चुने जाएंगे। इनमें 27 जिलों में तो एक-एक जिलाध्यक्ष ही होंगे। मगर जयपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर और बीकानेर में 2-2 जिलाध्यक्ष होंगे। वहीं जोधपुर में 3 जिलाध्यक्ष बनाए जाएंगे।
PCC कोटा-जयपुर में तीन बनाएगा, उसके बाद यूथ कांग्रेस भी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी इस महीने अपने नए जिलाध्यक्षों की घोषणा करेगी। इसमें तय हो चुका है कि जोधपुर, जयपुर और कोटा में तीन-तीन जिलाध्यक्ष होंगे। जोधपुर में पीसीसी ने पहले ही 3 जिलाध्यक्ष लगा दिए थे। ऐसे में यूथ कांग्रेस ने जोधपुर में 3 जिलाध्यक्ष का सिस्टम लागू कर दिया है। मगर कोटा और जयपुर में अभी तीन नहीं लगे, ऐसे में फिलहाल 2 ही जिलाध्यक्षों के लिए चुनाव होगा। मगर जब पीसीसी 3 बना देगा उसके बाद यूथ कांग्रेस भी जयपुर और कोटा में 3-3 जिलाध्यक्ष बनाएगा।
8 सैकंड के वीडियो से बनेंगे मेम्बर
यूथ कांग्रेस का सदस्य बनने के लिए इस बार वीडियो को जरूरी कर दिया गया है। जो भी मेम्बर बनेगा उसे अपना 8 सैकंड का वीडियो डालना होगा। इससे पहले तक इसके लिए सेल्फी की जरुरत हुआ करती थी। मगर इस बार से इसे 8 सैकंड के वीडियो में कन्वर्ट कर दिया गया है। वोटर आईडी कार्ड के माध्यम से मेम्बर इसमें जुड़ेंगे।
मेम्बरशिप ही होगी वोटिंग
यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों के लिए जो भी नेता चुनाव लड़ेंगे। उन्हें ज्यादा से ज्यादा लोगों को यूथ कांग्रेस की सदस्यता से जोड़ना होगा। जब नया सदस्य जुड़ेगा तो उसे चारों पदों के लिए अपने कैंडिडेट को चुनना होगा। उसके बाद ही उसका मेम्बरशिप प्रोसेस पूरा होगा। वो चारों पदों पर अपना नेता चुन सकता है। पुराने सदस्य वोटिंग नहीं कर पाएंगे। अगर उन्हें वोटिंग करने है तो उन्हें नया मेम्बर बनना होगा।
28 जनवरी से 27 फरवरी तक वोटिंग-मेम्बरशिप
11 जनवरी से मेम्बरशिप की प्रक्रिया की शुरुआत के बाद 12 जनवरी से 18 जनवरी तक नामांकन होगा। इसमें 19 जनवरी तक ऑब्जेक्शन की प्रक्रिया होगी। इसके बाद 20 और 21 जनवरी को नामांकन की छटनी होगी। वहीं 22 जनवरी को नामांकनों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसके बाद 28 जनवरी से 27 फरवरी तक मेम्बरशिप और वोटिंग की प्रक्रिया होगी।
पायलट-गहलोत गुट में दिखेगा कॉम्पीटिशन
यूथ कांग्रेस के चुनाव में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुठ के बीच मुकाबला देखने को मिल सकता है। दोनों ही गुट के नेता यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और अन्य पदों के लिए दावेदारी कर रहे हैं। इनमें दोनों नेताओं के करीबी नेता भी हैं। ऐसे में चुनाव के दौरान एक बार फिर सियासी खींचतान का ट्रेलर नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच भी देखने को मिल सकता है।