हाड़ौती समेत राज्य के बिजलीघर इन दिनों क्रिटिकल स्थिति में हैं। बिजलीघरों में पांच दिन का कोयला शेष है। समय पर कोयला नहीं आने पर बिजली उत्पादन पर असर पड़ सकता है। नियमानुसार वैसे सभी बिजलीघरों में 15 दिन का कोयले का स्टॉक रहना चाहिए, लेकिन फिलहाल इतना कोयना नहीं है। बिजलीघरों के अधिकारी उच्चाधिकारियों से सम्पर्क बनाए हुए हैं। छत्तीसगढ़ की कोयला खदान में मात्र 25 दिन की आपूर्ति का ही कोयला शेष है। फेस-2 की आवंटित खदान से उत्पादन प्रारंभ नहीं हो सका है। इससे स्थिति गंभीर होती जा रही है।
कोटा सुपर थर्मल पावर स्टेशन के मुख्य अभियंता वी.के. गोलानी ने बताया कि थर्मल में सात यूनिट हैं। इनमें से बॉयलर टयूब लीकेज के चलते 210 मेगावाट की एक यूनिट बंद पड़ी है। शेष छह यूनिट से बिजली उत्पादन किया जा रहा है। वर्मतान में 1020 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। थर्मल में पांच दिन का कोयला शेष है। कोयले के लिए लगातार उच्चाधिकारियों से सम्पर्क बनाए हुए हैं। झालावाड़ कालीसिंध थर्मल के मुख्य अभियंता के.एल. मीणा ने बताया कि थर्मल में 600- 600 मेगावाट की दो यूनिट में 1140 मेगावाट बिजली उत्पादन हो रहा है। रोजाना 4 रैक कोयला आ रहा है, पांच दिन का कोयला शेष है।